श्रम अधिकारों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना की याद में 1 मई को International Labour Day भी मनाया जाता है। 1886 में, संयुक्त राज्य भर के श्रमिकों ने आठ घंटे के कार्य दिवस की मांग के लिए राष्ट्रीय हड़ताल की। शिकागो के हेमार्केट स्क्वायर में विरोध हिंसक हो गया, जिसके परिणामस्वरूप कई श्रमिकों की मौत हो गई। उनके बलिदान का सम्मान करने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन ने 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में घोषित किया, दुनिया भर में श्रमिकों के संघर्षों और उपलब्धियों को पहचानने का दिन Labour Day के रूप में जाना जाता है।
कुल मिलाकर, मई दिवस उत्सव, एकता और चिंतन का समय है। यह हमें सामाजिक न्याय और श्रमिकों के अधिकारों के लिए चल रहे संघर्षों की याद दिलाते हुए हमें प्रकृति की सुंदरता और समुदाय के महत्व की सराहना करने की अनुमति देता है। न्यूयॉर्क Labour Day को मान्यता देने वाला बिल पेश करने वाला पहला राज्य था, जबकि ओरेगन 21 फरवरी, 1887 को इस पर एक कानून पारित करने वाला पहला राज्य था।
बाद में 1889 में, मार्क्सवादी अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस ने एक महान अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए एक प्रस्ताव अपनाया जिसमें उन्होंने मांग की कि श्रमिकों से दिन में 8 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जाना चाहिए। इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि एक मई को अवकाश घोषित किया जाएगा।
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Toggleभारत में Labour Day
भारत ने 1 मई, 1923 को चेन्नई में Labour Day मनाना शुरू किया, और इसे ‘कामगार दिवस’, ‘कामगार दिन’ और ‘अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन को पहली बार लेबर किसान पार्टी ऑफ़ हिंदुस्तान द्वारा मनाया गया था, और इसे देश में राष्ट्रीय अवकाश माना जाता है। इस दिन, दुनिया भर के लोग श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने और उन्हें शोषण से बचाने के लिए मार्च और विरोध प्रदर्शन करके इस दिन को मनाते हैं। जागरूकता फैलाने के लिए कई देशों में इस दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया जाता है।
इसके बाद से देश के कई मजदूर संगठन ने मई दिवस को अपनाया और आज देश में एक मई को श्रमिक दिवस मनाया जाता है. वहीं, इस बार अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2023 की थीम है, सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति का निर्माण (Act together to build a positive safety and health culture) के लिए मिलकर कार्य करें.
Labour Day की अमेरिका से हुई थी शुरुआत
Labour Day मनाने के पीछे की वजह अमेरिका में 1 मई 1886 से शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन है. जानकारी के मुताबिक, वहां की कंपनियों में काम करने वाले वकर्स ने काम के घंटे आठ करने की लंबी मांग के बाद काम बंद कर दिया था. हड़ताल शुरू हुए चार दिन भी पूरे नहीं हुए थे, कि तभी अमेरिका के शिकागो की हे-मार्केट में एक धमाका हुआ.
इसके बाद 4 मई को धमाके के जवाब में पुलिस ने प्रदर्शनकारी मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं. इसमें कई मजदूरों की जान चली गई थी. यह दहशत और गुस्से का माहौल देश भर में फैल गया. आखिर में प्रशासन को झुकना पड़ा और श्रमिकों की मांगों को स्वीकृति दे दी थी. हालांकि, अमेरिका में राष्ट्रीय मजदूर दिवस सितंबर महीने के पहले सोमवार को मनाया जाता है.
सात मजदूरों की गई थी जान, जानें- आंदोलन के बारे में
International Labour Day की शुरुआत 1 मई 1886 से हुई. इस दिवस को मनाने के पीछे की वजह मजदूर यूनियनों की हड़ताल है. ये मजदूर आठ घंटे से ज्यादा काम ना कराने के लिए हड़ताल कर रहे थे. कहा जाता है कि इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेय मार्केट में बम ब्लास्ट हुआ. जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें सात मजदूरों की मौत हो गई.