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पति को छोड़ना पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने ठुकराई पत्नी की अपील

पति को छोड़ना पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने ठुकराई पत्नी की अपील

बगैर किसी वजह के पति को छोड़कर मायके चला जाना और पति के बार-बार बुलाने पर भी ससुराल वापस नहीं लौटना, एक पत्नी को महंगा पड़ गया है. उसके इस रवैये के चलते परिवार न्यायालय ने पति का तलाक मंजूर किया. वहीं, पत्नी द्वारा तलाक रद्द करने के लिए बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में की गई अपील भी खारिज कर दी गई.

बतादे कि पत्नी अकोला जबकि पति पुणे का निवासी है. दोनों उच्चशिक्षित हैं और दोनों का 16 जून 2006 में विवाह हुआ था. पति पुणे में नौकरी करता है इसलिए पत्नी विवाह के बाद पति के साथ पुणे रहने गई थी. लेकिन बार-बार मायके जाती रहती थी. इसे लेकर दोनों में विवाद होता रहता था.

पति को छोड़ना पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने ठुकराई पत्नी की अपील
पति को छोड़ना पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने ठुकराई पत्नी की अपील

7 जुलाई 2007 को उन्हें एक बेटा हुआ. इसके बाद भी उनका मतभेद बरकरार था. पति को उसकी कंपनी ने अप्रैल 2013 में एक महीने के लिए कनाडा भेजा था. उस समय पति को बताए बगैर पत्नी सभी गहने व जरुरी वस्तुएं लेकर मायके चली गई. वह बेटे को भी साथ लेकर गई. पति को जब उसके माता-पिता ने इससे अवगत कराया तो उसने पत्नी को फोन कर वापस ससुराल लौटने को कहा, लेकिन पत्नी ने पति की बात नहीं मानी.

पुणे वापस लौटने के बाद भी पति ने पत्नी वापस लौटने के बाद भी पति ने पत्नी से मुलाकात की और ससुराल लौटने को कहा. लेकिन पत्नी मानने को तैयार नहीं थी. पुलिस महिला कक्ष की मध्यस्थता का भी कोई फायदा नहीं हुआ. आखिरकार पति ने तलाक लेने के लिए अकोला के परिवार लेने के लिए अकोला के परिवार न्यायालय में याचिका दायर की।

हमेशा अलग रहने का उद्देश्य

हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी ने ससुराल छोड़ने के बाद बच्चे को भी पुणे की शाला से निकालकर अकोला की शाला में प्रवेश दिलाया. फिलहाल वह नाशिक में रह रही है और बेटा भी वहीं पढ़ रहा है. वहीं, उसने पति के साथ गुजारा करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया. इससे साबित होता है कि उसका पति के साथ रहने का उद्देश्य नहीं है. यह कहते हुए हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी.

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