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शिव शव और श्मशान की होली, 4-5 दिन पहले ही मसान होली की हो जाती है शुरुआत

यहां सड़कें श्मशान की राख से पटी हैं। जिधर नजर जा रही, कोई चेहरे पर राख मल रहा है, तो कोई चिता भस्म से नहाया हुआ है। कोई इंसानी खोपड़ियों की माला गले में पहने, मुंह में जिंदा सांप दबाए नृत्य कर रहा, तो कोई जानवरों की खाल पहनकर डमरू बजा रहा। एक तरफ चिताएं जल रही हैं, दूसरी तरफ लोग उसकी राख से होली खेल रहे हैं। यानी खुशी और गम साथ-साथ। आम इंसान जो चिता की राख से दूर भागता है, आज वो इसे प्रसाद मानकर एक चुटकी राख के लिए घंटों इंतजार कर रहा है। भीड़ इतनी कि पैर रखने तक की भी जगह नहीं। यह नजारा है काशी की मसान होली का।

श्मशान पर शिव जी की दिगंबर होली... - Shivji Ki Holi Banaras - Amar Ujala  Kavya

काशी में होली से 4-5 दिन पहले ही मसान होली की शुरुआत हो जाती है। इसके लिए न सिर्फ देशभर से बल्कि बड़ी संख्या में विदेशी भी यहां मसान होली खेलने आते हैं। यही वजह है काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास एक भी होटल या गेस्ट हाउस खाली नहीं है। रास्ते में जगह-जगह अघोरी बाबा करतब दिखा रहे हैं। कोई हाथ में नाग लेकर घूम रहा है, तो कोई आग से खेल रहा। चिता की भस्म हवा में इस तरह घुली है कि दूर-दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा।

Lord Shiva Comes At Kashi Smashan Ghat To Play Holi

मणिकर्णिका घाट के डोम लोकेश चौधरी बताते हैं, ‘रंगभरी एकादशी के दिन शिव जी, माता पार्वती का गौना कराकर लाए थे। इसके बाद उन्होंने काशी में अपने गणों के साथ रंग-गुलाल की होली खेली, लेकिन वे श्मशान में बसने वाले भूत, प्रेत, पिशाच, किन्नर और अन्य जीव जंतुओं आदि के साथ होली नहीं खेल पाए थे। इसलिए रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद महादेव ने श्मशान में बसने वाले भूत-पिशाचों के साथ होली खेली थी। तभी से यहां मसान होली खेली जाती है।’

काशी के महाश्मशान पर खेली गई चिता की भस्म से होली, देखें तस्वीरें -  Festivals AajTak

हरिश्चंद्र घाट पर शिव जी का एक मंदिर है। इसे मसान मंदिर कहा जाता है। यहां सुबह से ही उत्सव का माहौल है। शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, फल, फूल, माला, धतूरा, गांजा, भस्म चढ़ाई जा रही है। पांच पुजारी रुद्राभिषेक करा रहे हैं। इसके बाद बाबा को धोती और मुकुट पहनाया जाता है। साल में एक ही दिन बाबा मसान मुकुट पहनते हैं। इसके लिए एक रथ सजाया गया है। उस पर एक लड़के को शिव और एक लड़की को पार्वती बनाकर बिठाया जाता है। फिर चिता के सामने उनकी पूजा की जाती है। इसके बाद झांकी निकलती है।

HOLI-2020: काशी में महाश्‍मशान मणिकर्णिका घाट चिता भस्‍म की होली, खास होता  है ये नजारा । People at Varanasi Manikarnika Ghat played holi with pyre ash  to celebrate it See Video

झांकी में कीड़े-मकौड़े, सांप-बिच्छू लिए औघड़ों को देखते ही बनता है। इसमें महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। सिर पर मुकुट, हाथ में त्रिशूल, कटार, मुंह पर काला रंग और लाल रंग की बाहर लटकती जीभ। मानो साक्षात काली यहां उतर आई हैं। ये झांकी यहां से करीब 700 मीटर दूर अघोराचार्य कीनाराम के आश्रम जाती है। फिर आश्रम से बाबा भोलेनाथ की बारात निकलती है। बारात में भीड़ ऐसी कि तिल रखने की भी जगह नहीं है। अघोरी और तांत्रिक तो इसमें शामिल हैं ही, आम लोग भी इसमें शामिल होने के लिए लालायित हैं।

मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्तों ने खेली चिता भस्म होली, हर हर महादेव से गूंज  उठी चारों दिशाएं | Devotees played Chita Bhasma Holi at Manikarnika Ghat,  all four directions resonated with

काशी में अघोरी गोपनीय तरीके से रहते हैं। वे साधना के लिए कब श्मशान आते हैं और कब चले जाते हैं, कोई नहीं जानता। वे होली, दिवाली की रात और रंगभरी एकादशी को खुले तौर पर आते हैं। ऐसा सिर्फ काशी विश्वनाथ की नगरी में ही होता है और वो भी उनकी कृपा से। फिलहाल के लिए इतना ही ऐसी ही तमाम ख़बरों को जानने के लिए देखते रहिये मृदुभाषी

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