ओलावृष्टि, 1.5 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद
ओलावृष्टि, बेमौसम बारिशम और आकाशीय बिजली ने किसानों को पर इस तरीके से जुल्म ढ़हाया है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। सबसे ज्यादा नुकसान मालवा निमाड़ के किसानों को हुआ है। ख़रगोन के आसपास के इलाकों में नजारा कश्मीर जैसा नजर आ रहा है। ग्वालियर-चंबल संभाग में भी किसानों को भारी नुकसान का आदेश जताया जा रहा है।
1.5 लाख हेक्टेयर फसल चौपट
सरकारी सर्वे की मानें तो मध्यप्रदेश के साढ़े तीन हजार से ज्यादा गांवों में 1.5 लाख हेक्टेयर से ज्यादा की फसल को नुकसान हुआ है। शुरुआती सर्वे में जहां ओले पड़े हैं, वहां फसलों को 50 से 85% तक नुकसान माना जा रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान विदिशा में हुआ है जहां 49883 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है। सबसे ज्यादा 38078 किसान भी विदिशा में ही प्रभावित हुए हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 25 मार्च तक सर्वे पूरा करने को कहा है।
सदमे में मध्य प्रदेश के किसान
डिंडौरी में भी ओलावृष्टि हुई। यहां के कई इलाकों में आंधी-तूफान के साथ बारिश हुई। भिंड में भी बादल आफत बनकर बरसे। यहां तेज बारिश के साथ ओले गिरे। इससे किसानों की फसल चौपट हो गई। यही हाल श्योपुर में रहा जहां के 20 से ज्यादा गांवों के किसानों को नुकसान हुआ है। जिलों के नाम बदलते जाएंगे लेकिन हालात नहीं बदलेंगे। बड़ी मात्रा में नुकसान होने से प्रदेश के किसान सदमे में हैं।
अस्पतालों में बढ़े सर्दी-जुकाम के मरीज
बदलते मौसम ने न सिर्फ किसानों को संकट में डाला है। बल्कि आम जनता को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। बच्चों से लेकर बूढ़े तक इस समय बीमारी का शिकार हो रहे है। इस समय अस्पतालों में अधिकतर मरीज सर्दी-जुकाम से बीमार हैं। होली के एक हफ्ते पहले मई-जून जैसी गर्मी पड़ी और अब प्रदेश के कुछ इलाकों में हुई ओलावृष्टि से बदले मौसम ने बिमारी को दावत देदी।