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सूखा पड़ने की आशंका: मौसम को लेकर पूर्वानुमान बताने वाली प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट वेदर ने जारी किया पहला अनुमान

सूखा पड़ने की आशंका: मौसम को लेकर पूर्वानुमान बताने वाली प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट वेदर ने जारी किया पहला अनुमान

नई दिल्ली। मानसून को लेकर पहला पूर्वानुमान आ गया है। मौसम को लेकर पूर्वानुमान बताने वाली प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट वेदर ने सोमवार को 2023 का मौसम पूर्वानुमान जारी किया है। हालांकि यह पूर्वानुमान टेंशन पैदा करने वाला है। स्काईमेट ने बताया है कि इस साल सामान्य से कम बारिश होगी। इस बार देश में सामान्य बारिश होने की सिर्फ 25 प्रतिशत संभावना है। इस बार एलपीए यानी लॉन्ग पीरियड एवरेज का 94 फीसदी बारिश होने का अनुमान है।

वहीं सूखा पड़ने की भी 20 फीसदी आशंका है। अल नीनो प्रभाव के चलते मानसून के कमजोर रहने की आशंका बन रही है। पूर्वानुमान के मुताबिक लोगों को सूखे का दंश झेलना पड़ सकता है। वहीं मौसम ज्यादा गर्म रहने से फसल भी प्रभावित हो सकती है।
दरअसल जब प्रशांत महासागर में समुद्र की ऊपरी सतह गर्म होती है तो अल नीनो का प्रभाव पड़ता है। स्काईमेट वेदर ने अनुमान जताया गया है कि अल नीनो का प्रभाव मई-जुलाई के बीच लौट सकता है। जबकि देश में मानसून जून से सितंबर तक रहता है। इस पूवार्नुमान में एरर मार्जिन +/-5 फीसदी रखा गया है।

मप्र में जुलाई-अगस्त में अपर्याप्त बारिश की आशंका
स्काईमेट वेदर के मुताबिक देश के उत्तरी और मध्य भागों में बारिश की कमी होने की आशंका है। मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त में अपर्याप्त बारिश होगी। वहीं उत्तर भारत के कृषि क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में सीजन के दूसरे भाग में सामान्य से भी कम बारिश होने की आशंका है।

महंगाई पर काबू पाने की कोशिश को झटका
हाल ही में रिजर्व बैंक ने मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए कहा था कि 2023-24 में महंगाई दर के 5.20 फीसदी रहने की संभावना है, जो फरवरी 2023 में 6.44 फीसदी रही है। आरबीआई को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में महंगाई में कमी आ सकती है, लेकिन यदि स्काईमेट का पूर्वानुमान सही साबित होता है तो महंगाई से निपटने की आरबीआई की कोशिशों को झटका लग सकता है।

सूखे के दुष्प्रभाव
-अल नीनो के चलते देश में सूखा पड़ सकता है जिससे खाद्य वस्तुओं के सप्लाई पर दबाव देखने को मिल सकती है।
-इसका असर खाने-पीने की चीजों की कीमतों पर पड़ सकता है. खाद्य वस्तुओं महंगी हो सकती है।
-भारत के लगभग आधे से ज्यादा किसान अपने खेत में चावल, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों को उगाने के लिए बारिश पर निर्भर करते है। बारिश की कमी से फसलों पर विपरित असर पड़ेगा।
-यह पूर्वानुमान बड़े पैमाने पर एग्रीकल्चर सेक्टर,रूरल इकोनॉमी और पूरी आर्थिक हेल्थ के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है।

अल नीनो और ला नीना को ऐसे समझें
अल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलाव है, जिसका असर मौसम पर देखा जाता है। अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला नीना के कारण ठंड ज्यादा पड़ने लगती है। अल नीनो के चलते तापमान बढ़ जाता है और सूखे जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। पिछले चार बार से मानसून के सीजन में सामान्य बारिश हो रही थी। इसकी वजह ला नीना था जो कि अब खत्म हो गया है।

चिंता पैदा करने वाले आंकड़े
-110 प्रतिशत से अधिक बारिश की कोई संभावना नहीं।
-105 से 110 प्रतिशत बारिश की 15 प्रतिशत संभावना।
-96 से 104 प्रतिशत बारिश की 25 प्रतिशत संभावना।
-40 प्रतिशत आशंका है सामान्य से कम वर्षा की।

इंडियन ओशन डिपोल से कर सकते हैं उम्मीद
स्काईमेट ने यह भी कहा कि आईओडी यानी इंडियन ओशन डिपोल में मानसून को नियंत्रित करने और पर्याप्त रूप से मजबूत होने पर अल नीनो के दुष्प्रभावों को नकारने की क्षमता है। आईओडी अब तटस्थ है और मानसून की शुरुआत में मध्यम सकारात्मक होने की ओर झुक रहा है। सकारात्मक आईओडी को भारतीय मानसून के लिए अच्छा माना जाता है।

ला नीना समाप्त
अल नीनो की वापसी से इस साल कमजोर मानसून की आशंका जताई जा सकती है। अल नीनो मानसूनी हवाओं के कमजोर होने और भारत में कम वर्षा से जुड़ा हुआ है। ला नीना समाप्त हो गया है, जो अच्छी बारिश का कारण होता है। अब अल नीनो की आशंका बढ़ रही है।

-जतिन सिंह, प्रबंध निदेशक, स्काईमेट

आईएमडी ने अभी जताया यह अनुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अभी तक मानसून के लिए अपना पूर्वानुमान जारी नहीं किया है, लेकिन उसने अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान और लू चलने की भविष्यवाणी की है।

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