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एक गुफा ऐसी भी जहां छिपे हैं कई आदिकालीन रहस्य, आधी रात को आती हैं शंख की ध्वनियां

जामगढ़ के पास विंध्याचल की पहाड़ी पर स्थित प्राकृतिक शिव गुफा का अलग ही महत्व है। यहां स्थानीय एवं दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं और त्रिलोकी नाथ के दर्शन पूजन और अभिषेक कर शिव भक्ति में लीन हो जाते है। यह स्थान बरेली से लगभग 20 किमी दूर विंध्याचल पहाड़ियों के बीचों बीच स्थित है। यहां का इतिहास उतना ही पुराना है जितना विंध्याचल पर्वत माला का। इस पर्वत के ठीक मध्य में एक गुफा है।

जहां औघड़दानी प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है।आधी रात को आती हैं गुफा से शंख की ध्वनियां गुफा के मध्य में जहां प्राकृतिक शिवलिंग है वहीं उसी के भीतर एक प्राकृतिक बावड़ी मौजूद है। इस रहस्यमयी बावड़ी में पानी तक पर्यटकों को लेटकर जाना पड़ता है। प्राकृतिक क्षरणकी वजह से बावड़ी तक पहुंचना कठिन होता जा रहा है। किंतु यहां सदैव जल भरा रहता है जो तीर्थों के जल के समान पवित्र माना जाता है।

अनुमान के अनुसार गुफा पहाड़ी के काफी अंदर तक है। विशेष अवसरों पर मध्यरात्रि के समय अचानक शंख ध्वनियों की आलौकिक ध्वनियाँ सुनाई देती थी। संध्याकाल मेंं आलौकिक दिव्य प्रकाश किरणें देवादि देव की महादेव की आरती उतारती दिखाई देती थी।भूकंप के कारण सिकुड़ रही गुफा गऊ गुफा-शिवालय के ठीक पास से एक संकीर्ण गुफा मौजूद है जो प्राकृतिक क्षरण व भूकंपीय हलचलों के चलते संकीर्ण हो गई है। गुफा के ठीक अंदर लंबा चौड़ा मैदान है।

ऐसा मन जाता है कि वर्षों से यहां कई संत आराधनारत एवं समाधिस्थ हैं। शिवलिंग की परिक्रमा के लिए प्राकृतिक परिक्रमा मार्ग है जहां लेटकर दर्शनार्थी परिक्रमा करते हैं यहां की परिक्रमा के उपरांत अद्भुत और आलौकिक शांति की अनुभूति होती है।रहस्यमयी जलधारा बूंद-बूंद टपकती रहती हैजलकुण्ड के पास वर्षभर अविरल जलधारा पहाड़ी से बूंद-बूंद गिरती रहती है। भीषण गर्मी में भी पहाड़ पर स्थित पेड़-पौधे सुख जाते है। लेकिन यहां यह रहस्यमयी जलधारा बूंद-बूंद टपकती रहती है। इस अमृत जल का पान मधु मक्खियां अपनी प्यास बुझाने में किया करती है। पद चिन्हों के समीप ही पत्थरों उलझी हुई लिपी लिखी हुई है जो आज भी रहस्य बनी हुई है।

कई लोग इसे जामवंत की गुफा व सुरई मंदिर से जोड़कर देखते हैं। स्मंतक मणी का रहस्य इसमें मौजूद हैं। क्योंकि अनेक लोग इसे रीछड़मल्ल द्वारा लिखा हुआ सामाजिक संदेश मानते है। हजारों वर्षों से नहीं सुलझा गुफा का रहस्य देश के अनेक पुरातत्वविद दूरबीन, माइस्कोप व अनुभव से अभी इस अनसुलझी लिपी का रहस्य जानने व समझने में कामयाब नहीं हुए हैं।

पुरातत्वविद ने हजारों वर्ष पुराने होने का दावा किया है। यहां मौजूद पद चिन्ह व अन्य पुरातत्वीय संपदा सैलानियों दर्शनार्थियों को आकर्षित करती है। और कौतूहल का विषय है।

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