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यह समझने की गलती न करें कि पहलवानों में दिमाग नहीं होता

यह समझने की गलती न करें कि पहलवानों में दिमाग नहीं होता

मिलिंद बायवार/ भारतीय कुश्ती महासंघ यानी डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर लगे महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों ने फिर तूल पकड़ लिया है। दरअसल देश के नामी पहलवान इस मामले में सरकार की जांच और पुलिस के रवैये से संतुष्ट नहीं हैं। इसी के चलते वे रविवार को फिर से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए और रातभर फुटपाथ पर सोए।

इसके बाद सोमवार को पहलवानों ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए अपने धरने में राजनीतिक दलों को भी आमंत्रित किया। जबकि इससे पहले जब उन्होंने 18 जनवरी 2023 से धरना दिया शुरू किया था तब राजनीतिक दलों से दूरी बनाकर रखी थी। यही वजह रही कि तब पहलवानों को कुछ आश्वासन देकर किसी तरह से मना लिया गया। तब सियासी दलों का साथ नहीं लेने के पीछे पहलवानों की मजबूरी भी थी। तब देश में वैसा चुनावी माहौल जोर नहीं पकड़ पाया था जैसा इस समय है, लेकिन यह समझने की भूल नहीं करनी चाहिए कि पहलवानों में दिमाग नहीं होता। बल्कि यह समझना चाहिए कि पहलवान पटखनी देने में माहिर होते हैं।

इस समय पहलवानों ने देश का जो सियासी माहौल देखा है, उसी का परिणाम है कि उन्होंने सियासी दलों को भी अपने विरोध प्रदर्शन में शामिल करने का दांव चल दिया है। पहले उनकी तरफ से सियासी बातें समझने के लिए कोई नहीं था। यही वजह है कि इस बार उन्होंने अपनी गलती को सुधारा है। इसी के चलते ट्विटर पर उन्हें विपक्षी दलों का साथ मिलना शुरू हो गया है। कांग्रेस सेवा दल ने सबसे पहले ट्वीट कर पहवानों को अपना समर्थन दिया है। भले ही पहलवानों ने कहा हो कि वे भाजपा-कांग्रेस सहित सभी दलों को अपने विरोध प्रदर्शन में आमंत्रित कर रहे हैं, लेकिन साफ है कि भाजपा के नेता तो इसमें शामिल होंगे नहीं। निश्चित ही विपक्षी दलों के नेता ही इसमें शामिल होंगे और तय है कि वे यौन शोषण के इस मामले को बड़ा मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

यह विडंबना ही है कि जो खिलाड़ी देश के लिए मैडल लाती हैं, उन्हें ही न्याय नहीं मिल पाया है। डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह भले ही अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर चुके हों, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि महिला पहलवान बिना किसी कारण के इतने गंभीर आरोप किसी पर लगाएं। एक नाबालिग महिला पहलवान और छह अन्य महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो दिन पहले ही दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है। इसके बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पहलवानों का यह दूसरे चरण का धरना शुरू हुआ है।

पहलवानों का यह भी आरोप है कि इस गंभीर मामले की जांच करने वाली निगरानी समिति ने रिपोर्ट सौंपी है या नहीं यह उन्हें नहीं बताया गया है। उनकी मांग है कि निगरानी समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। इस बार पहलवान कड़े संकल्प के साथ धरने पर बैठे हैं। बजरंग पुनिया का कहना है कि जब तक बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, वे धरना खत्म नहीं करेंगे। साथ ही इस बार पहलवान किसी से बात करने नहीं जाएंगे।

जिसे भी उनसे बात करनी है वे धरनास्थल पर ही बात करने आएं। बजरंग पुनिया का यह भी आरोप है कि भारतीय कुश्ती महासंघ को चलाने के लिए कमेटी तो बनी, लेकिन बृजभूषण की देखरेख में ही कुश्ती संघ चल रहा है। पहलवानों की रणनीति को देखते हुए अब ऐसा लगने लगा है कि सरकार बृजभूषण शरण सिंह पर जल्द ही कोई निर्णय लेगी।

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