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सम्मेद शिखर पर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, झारखंड सरकार को इको टूरिज्म गतिविधि पर रोक लगाने के निर्देश

झारखंड के पारसनाथ स्थित जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा। केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस ले लिया है। भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से आज पांच जनवरी को जारी दो पेज की चिट्ठी के दूसरे पेज पर लिखा गया है, ”इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।”

केंद्र सरकार ने निगरानी समिति बनाई। राज्य सरकार से कहा गया है कि वह इस समिति में शामिल होने के लिए जैन समुदाय से दो सदस्यों और स्थानीय जनजातीय समूह से एक सदस्य को स्थायी सदस्य के रूप में आमंत्रित करे।

किन चीजों पर लगी पाबंदी?

केंद्रीय मंत्री की तरफ से इसे लेकर पूरा ज्ञापन भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है, जिसमें बताया गया है कि पारसनाथ पर्वत क्षेत्र में ड्रग्स और तमाम नशीले पदार्थों की बिक्री करना, तेज संगीत बजाना, लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना, प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाले काम करना, पालतू जानवरों को लाना, कैंपिंग और ट्रैकिंग करने की इजाजत नहीं होगी. इन सभी नियमों को कड़ाई से लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं.

क्या है पूरा मामला
दरअसल साल 2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखरजी को ईको पर्यटन स्थल घोषित करने का एलान किया था. इसकी सिफारिश झारखंड सरकार की तरफ से की गई थी. जिसके बाद फरवरी 2022 में राज्य सरकार ने इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी और सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया गया. इस दौरान पर्यटन स्थल के आसपास शराब और मांस की दुकाने खोलने की भी इजाजत दे दी गई, जिसके बाद पूरा विवाद शुरू हुआ और जैन समाज ने आंदोलन खड़ा कर दिया. बता दें कि सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का एक पवित्र स्थल है.

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