Ganesh Chaturthi 2021: श्रीगणेश सुखकर्ता, दुखहर्ता और कल्याण प्रदाता देवता हैं। शास्त्रोक्त मान्यता है कि गजानन की आराधना से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। गणेशोत्सव के दौरान गजानन की आरादना का विशेष महत्व है। इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन श्रीगणेश की स्थापना कर उनकी पूजा की जाती है और अनन्त चतुर्थी के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। आइए जानते हैं श्रीगणेश की पूजा विधि और आराधना में बरती जाने वाली सावधानियां।
कलंक चौथ भी कहा जाता है
श्रीगणेश चतुर्थी को पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणोशोत्सव का प्रारंभ होता है और गणेशजी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। मान्यता है कि इस दिन गणपति देव का प्रकट्य हुआ था। इसलिए चतुर्थी तिथि श्रीगणेश को अति प्रिय है।
शास्त्रोक्त पूजन करें
गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूजा की तैयारी आरंभ करें। पूजा से पहले स्नान आदि से निवृत हो जाएं। कुशासन या ऊन के आसन पर बैठकर पूजन का प्रारंभ करें. इससे पहले पूजन सामग्री एक जगह पर इकट्ठा कर लें। एक पाट पर अक्षत रखकर एक साफ कपड़ा बिछाए और उसके ऊपर श्रीगणेश को विराजित करें। गणपति के मस्तक पर चंदन, कुमकुम, सिंदूर, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, अक्षत आदी लगाएं। गाय के शुद्ध घी और तेल का दीपक प्रज्वलित करें। पंचामृत, पंचमेवा, ऋतुफल, लड्डू, मोदक, दुर्वा का भोग लगाएं। लाल और सुगंधित फूल चढ़ाएं। पूजा के दौरान ओम गं गणपतये नम: का जाप करते रहें। पूजा का समापन आरती कर करें।
तुलसी अर्पित न करें
गणेशजी की पूजा में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। श्रीगणेश को तुलसी अर्पित न करें। गणेशजी के साथ शिव, मां गौरी, नन्दी, कार्तिकेय सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा षोड़षोपचार विधि से करें। 10 दिन तक क्रोध न करें और सात्विक रहकर जीवन व्यतित करें। इससे श्रीगणेश की कृपा आपको प्राप्त होगी। गणेश प्रतिमा का विसर्जन 1, 2, 3, 5, 7, 10 दिनों में पूजन अर्चन करते हुए कर सकते हैं। भगवान से अनजाने में हुईभूल के लिए क्षमायाचना करें।