Mohammad Rafi: गायकी की दुनिया में मोहम्मद रफी साहब का नाम बडे अदब के साथ लिया जाता है और हिंदुस्तानी संगीत के सफर में उनकी सुरीली आवाज के जादू का हर कोई दीवाना है, लेकिन कई देशभक्ति के गीत और भजन गा चुके मोहम्मद रफी ने एक बार मजहब का हवाला देते हुए गायकी से तौबा कर ली थी और अपनी निजी जिंदगी से सुरों को बाहर कर दिया था। आज रफी साहब की 41वी पुण्यतिथि है आइए जानते हैं इस दिलचस्प वाकिए की अजीब दास्तान।
हज पर गए थे रफी साहब
बॉलीवुड के मशहूर गायक मोहम्मद रफी एक बार हज की यात्रा पर गए। जब वह हज से लौटकर आए तो उनको कुछ मौलवियों ने कहा कि अब तो आप हाजी हो गए हैं इसलिए अब आपको गाना-बजाना सब बंद कर देना चाहिए। रफी साहब को भी लगा कि शरीयत के मुताबिक अब उनका गाना-बजाना इस्लाम के खिलाफ है इसलिए उन्होंने भी इससे तौबा कर ली।
बेटे शाहीद ने बताई हकीकत
इस बारे में रफी साहब बेटे शाहिद रफ़ी ने बीबीसी को बताया था कि 1971 में उनके अब्बा और अम्मा दोनों हज पर गए थे। जब वह वहाँ से लौटने लगे तो वहां के मौलवियों ने ही उन्हें कहा कि अब आप हाजी हो गए हैं इसलिए अब आपको फ़िल्मों में नहीं गाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने वतन वापसी पर गाने गाना बंद कर दिया।
नौशाद ने दी गाने की सलाह
शाहिद रफ़ी का इस मामले में कहना है कि उनको संगीतकार नौशाद साहब और मेरे बड़े भाइयों ने भी समझाया कि आपका गला ही परिवार के रोज़गार का ज़रिया है। आप न कोई नौकरी कर सकते हैं और न कोई कारोबार। अल्लाह ने आपको खूबसूरत आवाज बख़्शी है और वही आपके और परिवार के लिए सब कुछ है। यदि आपने गाना बंद कर दिया तो घर परिवार का खर्च चलना मुश्किल हो जाएगा। परिवार, दोस्तों और चाहनेवालों की अपील का रफी साहब पर गहरा असर हुआ और उन्होंने अपनी गायकी को फिर से शुरू कर दिया।