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600 किसानों की मौत के बाद आखिर क्यों झुकी मोदी सरकार

विनय यादव. लंबे समय से तीन कृषि कानून को लेकर चल रही जंग का आखिर अब अंत हो गया है, हम यह भी कह सकते है कि किसानों की आखिर जीत हो ही गई है। लंबे समय से किसान मौजूदा सरकार के खिलाफ तीन कृषि कानून को लेकर विरोध कर रहे थे, लेकिन सरकार किसानों की समस्या शायद नहीं समझ पा रही थी। इस प्रदर्शन में कितने ही किसानों की मौत भी हो गई थी। किसान अपने हक के लिए लगातार यह लड़ाई लड़ रहा था, हो सकता है मोदी सरकार के हिसाब से यह कानून सही हो लेकिन किसानों को समझानें में कही ना कही सरकार नाकाम रही हो। किसान जिसे हम देश का अन्नदाता कहते है, जिनके कारण आज पूरा देश घर में बैठे-बैठे भोजन कर पा रहा है।

किसान नेता और मोदी सरकार के बीच थी यह लड़ाई

इस जंग में किसान नेता और मोदी सरकार दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई थी, लंबे समय से चल रही इस लड़ाई के बारें में मौजूदा सरकार ने सोचा होगा कि जल्द ही यह किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा, कई तरह के हथकंडे भी अपनाए जिससे किसान मान जाए, लेकिन किसानों का यह प्रदर्शन लगातार जारी रहा। और किसान अंत तक लड़ते रहे। इस आंदोलन में किसानों को अपना मुद्दा उठाने के लिए किसान नेता भी मिले। मोदी सरकार शायद किसी भी कीमत पर यह कानून वापस नहीं लेना चाहती थी, लेकिन आखिर किसानों के सामने मोदी सरकार को झुकना ही पड़ा

करीब 600 से अधिक किसानों ने गंवाई अपनी जान

किसान आंदोलन साल 2020 के नवंबर में शुरु हुआ था, जो लगातार जारी है। इस आंदोलन में अपना घर छोड़कर आए किसानों को आंदोलन में अपने हक के लिए अपनी मौत तक की बाजी लगाना पड़ी, गौरतलब है कि इतनी मौत के बाद भी सरकार ने कभी इस कानून को वापस लेने के बारें में नहीं सोचा होगा। सुत्रों के अनुसार 600 से अधिक किसानों की अभी तक इस आंदोलन में मौत हो चुकी है।

सत्ता के मोह के कारण वापस लेना पड़ा कानून

अब जल्द ही चुनावों का सीजन भी शुरु होने वाला है, और भाजपा के लिए किसानों के वोट बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि किसानों के वोट के बिना तो सरकार बनाना मुश्किल ही है। इस आंदोलन में इतने किसानों की मौत हुई, लेकिन तब मौजूदा सरकार ने इसे हटाने का निर्णय नहीं लिया। और अब जब बात चुनाव की आई तो लगातार सरकार ने यह कानून वापस ले लिया।

आखिर जो भी परिस्थिति रही हो इसमें, लेकिन आज सरकार के इस फैसले का हर कोई समर्थन कर रहा है, किसानों के साथ-साथ अन्य राजनितिक पार्टियां भी सरकार के इस फैसले से खुश नजर आ रही है।

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