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माउंटबेटेन से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक करने से ब्रिटेन का इंकार, खुल सकते थे एडविना और भारत विभाजन के कई राज

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London: आजादी के 74 साल बाद भी भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटेन कभी-कभार सुर्खियों में बने रहते हैं। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से उनकी पत्नी एडविना की मोहब्बत के किस्से किसी से छुपे नहीं है। एक बार फिर लॉर्ड माउंटबेटेन चर्चा में है, क्योंकि उनकी डायरियों और खतों को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है।

लेखक एंड्र्यू लोवनी चाहते हैं हासिल करना

ब्रिटिश कैबिनेट और साउथहैम्पटन यूनिवर्सिटी ने लॉर्ड माउंटबेटेन और उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटेन की डायरियों और खतों को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। इन डायरियों और खतों को हासिल करने के लिए ब्रिटिश लेखक एंड्र्यू लोवनी अब तक ढाई लाख पाउंड खर्च कर चुके हैं। एंड्र्यू लोवनी पिछले चार साल से इन दस्तावेजों को हासिल करने की कोशिश में लगे हुए थे। यह जानकारी ब्रिटिश अखबार द गार्डियन की एक रिपोर्ट में दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉर्ड माउंबेटन की डायरी और ए‍डविना के कुछ पत्रों को 2010 में ‘देश के लिए सुरक्षित’ कर दिया गया था। इसे साउथहैम्पटन यूनिवर्सिटी ने हासिल करके अपने अर्काइव में रखा है।

ब्रिटिश सरकार ने किया इंकार

इस संबंध में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उसके आदेश के बिना इन पेपर्स को सार्वजनिक ना किया जाए। लोवनी का कहा है कि इसमें जरूर कुछ बहुत दिलचस्प है। उनका मानना है कि ये दस्तावेज शाही परिवार, नेहरू एडविना के रिश्तों और भारत के विभाजन को लेकर कई अहम राज खोल सकते हैं। 2017 में माउंटबेटेन पर किताब लिखने वाले लेखक लोवनी 2017 से इन डायरी और खतों को पाने के कोशिश कर रहे थे। सूचना की स्वतंत्रता के अंतर्गत अपील और सूचना आयुक्त कार्यालय की ओर से इन्हें सार्वजनिक किए जाने के आदेश के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली है।