मुआवजा और नौकरी पाने के लिए 78 गज जमीन के बन गए 150 लोग मालिक, ऐसे हुआ खुलासा - Mradubhashi - MP News, MP News in Hindi, Top News, Latest News, Hindi News, हिंदी समाचार, Breaking News, Latest News in Hindi
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मुआवजा और नौकरी पाने के लिए 78 गज जमीन के बन गए 150 लोग मालिक, ऐसे हुआ खुलासा

इस मामले में तीन एसडीएम, पांच तहसीलदार, 4 रजिस्ट्री क्लर्क समेत करीब 20 कर्मचारियों के खिलाफ जांच चल रही है।

Palwal: दौलत पाने के चक्कर में इंसान हर हद को पार कर जाता है। कहीं रिश्ते-नातों की बलि चढ़ जाती है तो कहीं अपने ही एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं, लेकिन जमीन-जायदाद की ये जंग लंबे समय से इसी तरह चली आ रही है। लालच और घोटाले का एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां पैसे और नौकरी के चक्कर में जमीन के एक छोटे से टुकड़े के कागजों पर 150 लोग मालिक बन गए।

मुआवजे के लिए की धोखाधड़ी

मुआवजे और नौकरी के चक्कर में जमीन के 150 लोगों के मालिक बनने का मामला हरियाणा के पलवल का है। पलवल में मुंबई-दादरी फ्रेट कॉरिडोर (Delhi-Mumbai Freight Corridor) के लिए जमीन अधिग्रहण के दौरान रेलवे से मुआवजा और नौकरी हड़पने के लिए सिर्फ 78 वर्ग गज जमीन के 150 लोग मालिक बन गए। इसके साथ ही जमीन के एवज में रेलवे के पास साढ़े सात करोड़ रुपये से अधिक के मुआवजे और नौकरी के लिए आवेदन भी पहुंच गए। इस मामले में तीन एसडीएम, पांच तहसीलदार, 4 रजिस्ट्री क्लर्क समेत करीब 20 कर्मचारियों के खिलाफ जांच चल रही है।

पृथला गांव का है मामला

गौरतलब है कि रेलवे मंत्रालय जमीन का अधिग्रहण करने पर संबंधित व्‍यक्ति को मुआवजे के साथ प्रति व्यक्ति पांच से साढ़े पांच लाख रुपये की अतिरिक्त रकम रोजगार के लिए देता है। रकम नहीं देने पर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देता है। इस मामले में जैसे ही रेलवे मंत्रालय की मुंबई-दादरी फ्रेट कॉरिडोर योजना की जानकारी रेवन्यू डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को मिली तो जमीन की खरीद-फरोख्त शुरू हो गई। इस दौरान पलवाल के पृथला गांव के लोगों से अधिग्रहण प्रारूप तैयार करने वाले लोगों ने जमीन खरीद ली। इन लोगों से योजना के तहत एक पटवारी ने जमीन खरीदी और फिर 70-70 हजार रुपये लेकर 150 लोगों के नाम इसमें शामिल कर दिेए।

विजिलेंस कर रहा है जांच

पिछले साल एसडीएम ने इस जमीन का अवार्ड घोषित कर दिया था। इसके बाद मुआवजा राशि के अलावा 150 लोगों ने 5-5 लाख रुपये के लिए भी आवेदन किया। आवेदन में कहा कि उनकी संपूर्ण जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है। इसके बाद 78 गज जमीन के करीब साढ़े सात करोड़ रुपये जारी करने के आवेदन के बाद रेलवे मंत्रालय के अधिकारिय सतर्क हो गए और मामले की जांच विजिलेंस से कराई गई, तब पूरे घोटाले का खुलासा हुआ।