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सिर्फ 4 माह में रुखसत हो गए तीरथ सिंह रावत , जानिए परदे के पीछे का कथानक

नई दिल्ली। तमाम सियासी अटकलों को विराम देते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस तरह से तीरथ सिंह रावत सिर्फ चार महीने तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह पाए। उन्होंने 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शनिवार दोपहर तीन बजे देहरादून में भाजपा विधायक दल की बैठक में नया नेता चुना जाएगा।

आज होगा नए सीएम का फैसला

उत्तराखंड में भाजपा सरकार के गिरते ग्राफ को देखते हुए आलाकमान यह पहले ही तय कर चुका था कि चुनावों में तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री होने के बाद भी चेहरा नहीं होंगे। वर्तमान हालात में तीरथ सिंह रावत के रहते समस्या के और बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा था इसलिए हाईकमान ने नेतृत्व बदलना ही मुनासिब समझा। अब इस बात की कवायद की जा रही है कि सूबे की कमान ऐसी शख्सियत को सौंपी जाए, जो पार्टी में नई जान फूंक दे। शनिवार को विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इसमें राज्य ईकाई के सभी बड़े नेता शामिल होंगे और फैसले को अमली जामा पहनाया जाएगा।

संवैधानिक संकट का दिया हवाला

बंगाल के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा ने सभी सरकारों के कामकाज का आकलन किया तो उत्तराखंड उसमें भी काफी पीछे रहा। कुंभ और कोरोना के दौरान भी सरकार कुछ खास नहीं कर पाई। पौड़ी से लोकसभा सांसद रावत ने इस साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। पद पर बने रहने के लिए 10 सितम्बर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना था। हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा सितंबर से पहले उपचुनाव कराने से इनकार करने के बाद मुख्यमंत्री रावत के सामने विधायक बनने का संवैधानिक संकट खड़ा हो गया था। सूत्रों के मुताबिक चुनाव कोरोना संक्रमण के हालात पर ही निर्भर करते।

4 साल में बदले दो सीएम

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत सिर्फ 115 दिन मुख्यमंत्री के पद पर रहे। अब मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सतपाल महाराज और धन सिंह रावत के नामों की चर्चा है। राज्य में 56 विधायकों के बावजूद भाजपा में दो – दो मुख्यमंत्री बदल देने से पार्टी पर राजनैतिक अस्थिरता का आरोप लग रहा है।

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