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लद्दाख से लगी एलएसी पर ढाई साल से भी ज्यादा समय से तनाव, भारत पूरी तरह मुस्तैद

नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीन और भारत के सैनिकों की झड़प के बाद चीन की विस्तारवादी नईडीतयां एक बार फिर चर्चा में है। चीन अपनी विस्तारवादी नईडीत के तहत भारत के कई क्षेत्रों पर अपना दावा करता रहा है। गलवान और डोकलाम में चीनी सैनिकों की घुसपैठ इसका सबूत है। अब अपने इसी एजेंडे पर आगे बढ़ते हुए चीन ने डोकलाम और लद्दाख में भी अपनी तैयारियां बढ़ा दी हैं, जो भारत के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। दरअसल, सिर्फ तवांग ही नहीं, बल्कि लद्दाख और डोकलाम के पास भी चीन तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है। सड़कें-पुल बना रहा है। गांव बसा रहा है। सैनिकों के लिए शेल्टर बना रहा है। कुल मिलाकर चीन वहां वो सबकुछ कर रहा है जो जंग होने की स्थिति में उसकी मदद कर सकता है।

लद्दाख में क्या कर रहा है चीन?

चीन के साथ लद्दाख की 1,597 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। लद्दाख का करीब 38 हजार वर्ग किमी हिस्सा चीन के कब्जे में है, जिसे अक्साई चीन कहा जाता है। लद्दाख से लगी एलएसी पर तो ढाई साल से भी ज्यादा लंबे समय से तनाव है। लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के पास चीन तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहा है। पैंगॉन्ग झील के फिंगर 8 तक को भारत अपना अधिकार क्षेत्र मानता है, जबकि चीन फिंगर 4 तक अपना दावा करता है। पूरी एलएसी पर सिर्फ पैंगॉन्ग झील पर ही भारत-चीन के बीच जल सीमा है। फरवरी 2021 में भारत-चीन की सेना पीछे हट गई थी। हाल ही में सैटेलाइट तस्वीरों में सामने आया है कि पीछे हटने के बावजूद चीन वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी तट के पास नए ढांचे दिख रहे हैं।

तस्वीरों में दिख रहा है कि 40 बाय 30 मीटर के शेल्टर जैसे ढांचे बने हैं, जिन्हें हथियार सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है। कुछ ऐसे शेल्टर भी हैं जिन्हें सैन्य वाहन रखने के लिए बनाया गया है। सैटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक, पैंगॉन्ग झील के फिंगर फोर से लगभग 6.5 किमी दूरी पर एक हेडक्वार्टर और सैनिकों के लिए शेल्टर भी बना है।

डोकलाम में क्या कर रहा है चीन?

डोकलाम वैसे तो भूटान में पड़ता है, लेकिन ये ट्राई-जंक्शन है जो चीन, भारत और भूटान के बीच है। 2017 में 73 दिनों तक डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने थे। उस समय चीन डोकलाम में सड़क बना रहा था और भारत ने इसे रोक दिया था। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, डोकलाम विवाद खत्म होने के बाद चीन ने सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है, भारी हथियारों को स्टोर करने के लिए सुरंगें बनाईं हैं और सीमा के पास अपनी ताकत दोगुनी कर दी है। सीमा से कुछ ही मीटर की दूरी पर एक पुल भी बन रहा है, जिससे टकराव हो सकता है।
इतना ही नहीं, सैटेलाइट तस्वीरों में सामने आया है कि सीमा से 20 किलोमीटर दूर चीन एक और गांव बसा रहा है, जिसे लैंगमारपो नाम दिया गया है। ये गांव भूटान में ही बस रहा है। इसके कंस्ट्रक्शन का काम तेजी से चल रहा है।

भारत भी मुस्तैद!

सूत्रों का कहना है कि भारत चीन की गतिविधियों पर नजर रख रहा है और अगर ऐसा लगता है कि भारत की संप्रभुता को खतरा है तो एक्शन लिया जाएगा।
गलवान घाटी में गतिरोध के बाद भारत भी तेजी से अपने इन्फ्रास्ट्रक्शन को बढ़ा रहा है। अरुणाचल के पास भी चीन बुनियादी ढांचे को विकसित कर रहा है। पिछले साल पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अरुणाचल से सटी सीमा पर चीन एक गांव को बसा रहा है। अरुणाचल सीमा के पास भारतीय सेना ने लंबी दूरी की निगरानी वाले ड्रोन, रडार और नाइट विजन वाले कैमरे तैनात किए हैं। इन सर्विलांस सिस्टम की मदद से भारतीय सेना को एलएसी के पास चीनी गतिविधियों की सटीक तस्वीरें मिलती हैं।

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