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पं. प्रदीप क्यों हुए माफी मांगने पर मजबूर ?

पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने लाखों लोग पहुंचते हैं। उनकी कही बात का बड़ी संख्या में श्रद्धालु अनुसरण करते हैं। लेकिन हाल ही कथा के दौरान व्यासपीठ से पंडित प्रदीप मिश्रा ने माफ़ी मांगी है। आखिर क्या है पूरा मामला ? आइये जानते हैं।

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बैतूल के कोसमी में 12 दिसंबर से हो रही ताप्ती शिव महापुराण कथा में पं. प्रदीप मिश्रा ने पहले दिन गायत्री परिवार के मूल मंत्र मूल मंत्र हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा। हम बदलेंगे, युग बदलेगा। को व्यंगात्मक ढंग से प्रस्तुत किया था। जिससे गायत्री परिवार के कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त हो गया था। गायत्री परिवार के जिला समन्वयक डा कैलाश वर्मा ने बुधवार को इस पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि गायत्री परिवार की सारी गतिविधियां पारदर्शी और रचनात्मक होती हैं।

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गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य के ध्रुव वाक्य अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है, के तहत सुधार की प्रक्रिया पूर्णतः वैज्ञानिक है। जो जैसा सोचता है वो वैसा बन जाता है । इस अवधारणा पर लाखों जीवनों का कायाकल्प हुआ है। 100 वर्षों से अधिक निरन्तर व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की योजनाएं गायत्री परिवार द्वारा सफलतम रूप में चल रही हैं। ऐसे में किसी कथावाचक को हमारी संस्था पर आक्षेप करने का अधिकार नही है। पंडित मिश्रा को अपने इस कृत्य का स्पष्टीकरण देना चाहिए।

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इसके बाद गुरुवार को कथा सुनाते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने व्यास पीठ से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि हमने व्यास पीठ से कहा था कि हम बदलेंगे, युग बदलेगा, हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा। कब सुधरेगा, जब हम सुधरेंगे। अब इतनी जोरदार बात कहने के बाद भी जिसका पात्र जैसा होगा उसे वैसा प्राप्त होता है। किसी को बुरा लग जाता है, किसी को अच्छा लग जाता है। पर यह व्यासपीठ किसी को बुरा बताने के लिए नही है। यह व्यास पीठ ज्ञान प्रदर्शित करने के लिए है कि भगवान का भजन, स्मरण, भक्ति कि हमको बदलना है। फिर भी हमारी वाणी से अगर किसी को बुरा लगता हो तो इस व्यास पीठ से क्षमा मांगते हैं। उन्होंने कहा कि यह तो आपके पात्र पर आधारित है कि तुम्हारा पात्र अंदर से कैसा है। कथा कहने वाले ने तो कथा कह दी, आपने किस भाव से ग्रहण करी यह आपके उपर है।

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