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चैत्र नवरात्र का आध्यात्मिक महत्व –

देवी भागवत् पुराण के अनुसार पूरे वर्ष में चार नवरात्र मनाए जाते हैं जिनमें दो गुप्त नवरात्र सहित शारदीय नवरात्र और बासंती नवरात्र जसी चैत्र नवरात्र कहते हैं शामिल हैं। दरअसल यह चारों नवरात्र ऋतु चक्र पर आधारित हैं और सभी ऋतुओं के संधिकाल में मनाए जाते हैं।

शारदीय नवरात्र वैभव और भोग प्रदान देने वाले है। गुप्तनवरात्र तंत्र सिद्धि के लिए विशेष है जबकि चैत्र नवरात्र आत्मशुद्धि और मुक्ति के लिए है । वैसे सभी नवरात्र का आध्यात्मिक दृष्टि से अपना महत्व है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो यह प्रकृति और पुरुष के संयोग का भी समय होता है। प्रकृति मातृशक्ति होती है इसलिए इस दौरान देवी की पूजा होती है।

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है की संपूर्ण सृष्टि प्रकृतिमय है और वह सिर्फ पुरुष हैं। यानी हम जिसे पुरुष रूप में देखते हैं वह भी आध्यात्मिक दृष्टि से प्रकृति यानी स्त्री रूप है। स्त्री से यहां मतलब यह है कि जो पाने की इच्छा रखने वाला है वह स्त्री है और जो इच्छा की पूर्ति करता है वह पुरुष है।

नवरात्र के नौ दिनों में मनुष्य अपनी भौतिक , आध्यात्मिक , यांत्रिक और तांत्रिक इच्छाओं को पूर्ण करने की कामना से व्रतोपवास रखता है और ईश्वरीय शक्ति इन इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक होती है। इसलिए आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्र का अपना महत्व है।

ज्योतिष की दृष्टि से चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व है क्यूंकि इस नवरात्र के दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। सूर्य 12 राशियों में भ्रमण पूरा करते हैं और फिर से अगला चक्र पूरा करने के लिए पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं। सूर्य और मंगल की राशि मेष दोनों ही अग्नि तत्व वाले हैं इसलिए इनके संयोग से गर्मी की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है।

इसी दिन से वर्ष के राजा, मंत्री,सेनापति, वर्षा, कृषि के स्वामी ग्रह का निर्धारण होता है और वर्ष में अन्न, धन, व्यापार और सुख शांति का आंकलन किया जाता है। नवरात्र में देवी और नवग्रहों की पूजा का कारण यह भी है कि ग्रहों की स्थिति पूरे वर्ष अनुकूल रहे और जीवन में खुशहाली बनी रहे। धार्मिक दृष्टि से नवरात्र का अपना अलग ही महत्व है क्यूंकि इस समय आदिशक्ति जिन्होंने इस पूरी सृष्टि को अपनी माया से ढ़का हुआ है जिनकी की शक्ति से सृष्टि का संचलन हो रहा है जो भोग और मोक्ष देने वाली देवी हैं वह पृथ्वी पर होती है इसलिए इनकी पूजा और आराधना से इच्छित फल की प्राप्ति अन्य दिनों की अपेक्षा जल्दी ‌होती है।

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