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उज्जैन में बनी ज्ञानवापी मस्जिद जैसी स्थिति, संतों ने खट-खटाया कोर्ट का दरवाजा

उज्जैन। काशी में ज्ञानवापी मस्जिद की तरह उज्जैन में भी मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित किए जाने का विवाद सामने आया है, यहां शिप्रा नदी के पास स्थित नीव की मस्जिद को राजा भोज द्वारा बनाया तथा यहां पर परमार कालीन स्तंभ और गणेश प्रतिमा स्थापित होने का दावा किया गया है। मस्जिद को वापस लेने के लिए संतों कोर्ट में याचिका लगाने के साथ हनुमान चालीसा पाठ किए जाने की घोषणा की गई है।

मस्जिद को लेकर यह दावा आव्हान अखाड़े के संत और महामंडलेश्वर अतुलेशानंद महाराज ने किया है, उन्हें उन्होंने बताया कि शिप्रा नदी किनारे दानी गेट पर स्थित बिना नीव की मस्जिद वास्तव में एक मंदिर है, इसे राजा भोज ने बनवाया है। महामंडलेश्वर का कहना है कि राजा भोज ने धार में गौशाला के साथ उज्जैन की में गणेश जी व सरस्वती का मंदिर बनाया था यहां पर संस्कृत का वेद पाठ होता था और संस्कृत के विद्वान रहते थे। मुगल शासक ने इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद में बदल दिया है।

इस पूरे मामले में उज्जैन के पुरातत्व संग्रहालय एवं उत्खनन विभाग के अधिक्षक डॉ रमण सोलंकी ने बताया की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली एवं मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग से मार्गदर्शन लेना ही उचित होगा। वहीं इस मामले उज्जैन कलेक्टर ने इसे संवेदन शील मामला बताया है और कहा है किसी को भी प्रमाण और अभिलेखों की प्रशासन से तस्दीक कर के बयान देना चाहिए। बहरहाल अब देखना है कि इस पूरे मामले में को शासन द्वारा किस तरह से सुलझाया जाता है।

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