Shardiya Navratri 2021: नवरात्रि मां दुर्गा की उपासना का विशेष पर्व है। नौ दिनों तक चलने वाले इस नवदुर्गा महोत्सव में माता की आराधना अनेकों स्वरूपों में की जाती है। देवी उपासना के क्रम में जवारे बोए जाते हैं और माता से कष्टों के नाश के साथ समृद्धि की कामना की जाती है।
अन्न बोने की परंपरा है पौराणिक
जवारे के रूप में अन्न बोने की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है। नवरात्रि के अवसर पर देवी प्रतिमा के सामने मिट्टी के पात्र में जवारे बोए जाते हैं। मान्यता के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में पहली फसल जौ थी इसलिए जौ को पूर्ण फसल भी माना जाता है। यह भी परंपरा है कि अन्न को ब्रह्म माना जाता है और अन्न का सम्मान देने के लिए जौ नवरात्रि के अवसर पर बोए है।
जवारे के रंग से भविष्य के संकेत
नवरात्रि के जवारे आने वाले साल के भविष्य का संकेत भी देते हैं। हरेःभरे जवारे यानी जवारे की सेहत और उसके रंग से साधक के भविष्य का पता चलता है। यदि अंकुरित जौ का रंग नीचे से पीला और ऊपर से हरा है तो इसका अर्थ यह है कि देवी साधक का आने वाले साल का आधा समय अच्छा नहीं रहेगा लेकिन बाद का समय उत्तम हो जाएगा। यदि इसके विपरीत यानी अंकुरित जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला है तो इसका मतलब यह है कि साल की शुरूआत तो बेहतर रहेगी, लेकिन बाद में तकलिफों का सामना करना पड़ेगा।
हरे-भरे जवारे से उत्तम संकेत
यदि जवारे का कलर प्राकृतिक आभा लिए हुए हरा है तो यह साधक के लिए अच्छे शुभ संकेत है और मान्यता है कि देवी ने साधक की पूजा स्वीकार की है। आने वाला समय साधक के लिए उत्तम रहेगा। इसके विपरीत यदि जवारे सूख जाए या पीले होकर झड़ने लगे तो यह साधक के लिए अशुभ संकेत है और आने वाला समय साधक के लिए उत्तम नहीं है। इस तरह की अशुभता के निवारण के लिए नवरात्रि की अंतिम तिथि नवमी को नवग्रह के नाम से 108 बार हवन में आहुति देना चाहिए। इस उपाय से भविष्य की बाधाओं का निवारण होगा।
तेजी से वृद्धि करने पर समृद्धि के संकेत
यह भी मान्यता है कि यदि जवारे तेजी से वृद्धि करने लगे तो घर-परिवार में खुशियां और सुख-समृद्धि भी उसी तरह तेजी से आएगी। जवारे की धीमी वृद्धि खराब आर्थिक हालात और दिक्कतों का संकेत देते हैं। जौ के सीधे उगने को काफी शुभ संकेत माना जाता है जबकि काले रंग के टेढ़े–मेढ़े उगने को अशुभ संकेत माना जाता है। जौ का घना होना भी बेहतर भविष्य का सूचक है।