Sawan 2021: भूतभावन भगवान महाकाल को भोले भंडारी और सृष्टि का पालनहार कहा जाता है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि वह श्रद्धापूर्वक की गई क्षणभर की भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को अनन्त गुना वरदान देते है, लेकिन नाराज होने पर उनकी क्रोधाग्नि का शिकार स्वयं देवताओं को भी होना पड़ा था। आइए जानते हैं कौनसे देवताओं को महादेव ने दंडित किया था और उसके बाद उनका उद्धार भी किया था।
श्रीगणेश को दिया दंड
शास्त्रोक्त कथा के अनुसार एक बार गण नंदी ने देवी पार्वती की आज्ञा पालन में त्रुटि कर दी। देवी पार्वती इससे नाराज हो गई और उन्होंने शरीर के उबटन से एक बालक का निर्माण किया। इस बालक से देवी ने कहा कि तुम मेरे पुत्र हो और सिर्फ मेरी ही आज्ञा का पालन करोगे। मैं स्नान के लिए जा रही हूं इसलिए इस बात का ध्यान रखना कोई भी अंदर न आने पाए। देवी पार्वती के स्नान के लिए जाते ही भोलेनाथ वहां पर आ गए और देवी पार्वती के भवन में जाने लगे। जब बा्लक ने उनको रोका तो महादेव ने क्रोधित होकर उसका त्रिशूल से सिर काट दिया।
भोलेनाथ ने काटा बालक का सिर
देवी पार्वती को जब इस बात का पता चला तो वे काफी शोकाकुल हो गई और उनके क्रोध से सृष्टि में हाहाकार मच गया। ऐसे में समस्त देवताओं ने भोलेनाथ से बालक को पुनर्जीवित करने का निवेदन किया। तब भोलेनाथ के आदेश पर विष्णुजी एक हाथी का सिर काटकर लाए और उस सिर को बालक के धड़ पर रखकर उसे जीवित कर दिया। इस बालक को महादेव और अन्य देवताओं ने गजमुख नाम देकर अनेक आशीर्वाद प्रदान किए।
कामदेव को किया भस्म
राक्षस तारकासुर ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी से शिवपुत्र के द्वारा मृत्यु का वरदान प्राप्त कर लिया था। ऐसे में देवताओं ने भगवान शिव को समाधि से जगाने का निश्चय किया। कामदेव को समाधी में लीन शिव को जगाने की जवाबदारी सौंपी। कामदेव ने महादेव पर पुष्पबाण चलाया, जो उनके ह्दय में लगा। भोलेनाथ की समाधि टूट गई। अपनी समाधि टूटने से शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपना त्रिनेत्र खोलकर कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया। कामदेव की पत्नी रति काफी दुखी हुई और उन्होंने महादेव से अपने पति को जीवित करने का निवेदन किया। तब महादेव ने रति से कहा कि कामदेव द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लेंगे।
ब्रह्माजी का काटा सिर
सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी को भी शिवजी के क्रोध का शिकार होना पड़ा था। ब्रह्माजी ने सृष्टि के सृजन के दौरान एक अत्यंत सुंदर महिला को बनाया था। ब्रह्मा उसके रूप पर इतने मुग्ध हो गए की उसको पसंद करने लगे। सतरूपा नाम की इस महिला ने ब्रह्मा से बचने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी। सतरूपा के पास हजारों जानवरों में बदल जाने की शक्ति थी और उन्होंने ब्रह्मा जी से बचने के लिए यह सभी जतन कर लिए, लेकिन ब्रह्माजी सतरूपा के प्रेम में इतने आसक्त हो चुके थे कि उन्होंने सतरूपा को जानवर रूप में भी नहीं छोड़ा।
सतरूपा की रक्षा की
ब्रह्मा जी से बचने के लिए सतरूपा ऊपर की ओर देखने लगीं। सतरूपा के लिए ब्रह्मा जी ने एक सिर ऊपर की ओर विकसित कर लिया। अब सतरूपा काफी विवश हो गई। शिवजी इस पर अपनी नजर रख रहे थे। सतरूपा ब्रह्माजी की पुक्षी समान थी इसलिए सतरूपा को बचाने के लिए महादेव ने क्रुद्ध होकर ब्रह्मा का सिर काट डाला।