Republic Day 2021: हिंदुस्तान ने लंबे समय की गुलामी के बाद आजादी का जश्न मनाया था। देश आजाद 15 अगस्त 1947 को हो गया था, लेकिन भारत का संविधान 26 नवंबर 1950 को लागू हुआ था। 26 जनवरी का स्वतंत्रता संग्राम से खास नाता रहा है। आइए एक नजर डालते हैं 26 जनवरी और हमारे गणतंत्र से जुड़ी खास बातों पर।
लाहौर में ली थी पूर्ण स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा
अंग्रेजों का सिक्का जब पूरे देश पर चलता था उस वक्त 26 जनवरी 1930 को लाहौर में रावी दरिया के तट पर भारत के पूर्ण स्वराज्य की घोषणा की गई थी और इस तरह से भारत का पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। इसी दिन तिरंगा भी फहराया गया था। अविभाजित भारत के शहर लाहौर में 31 दिसंबर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में आधी रात को एक प्रस्ताव पास किया गया था। प्रस्ताव के मुताबिक यदि फिरंगियों ने 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा नहीं दिया तो भारत अपने आपको पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर देगा। कांग्रेस को उम्मीद थी कि अंग्रेज सरकार उसकी मांग को मांग लेगी, लेकिन ब्रिटिश हुकूमत ने कांग्रेस की मांग को कोई तवज्जो नहीं दी।
कांग्रेस ने किया था आंदोलन का आगाज
अंग्रेजों के रुख से निराश होकर 26 जनवरी से ही कांग्रेस ने सक्रिय आंदोलन का आगाज किया और 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया । 26 जनवरी 1930 को लाहौर में ही पार्टी के तात्कालिकअध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू ने तिरंगा फहराया और इस दिन को पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाने का एलान कर दिया। आजादी मिलने तक यानी 1947 तक पूरे 17 साल कांग्रेस ने इसी दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया।चूंकी इस दिन स्वतंत्रता का संकल्प पास किया गया था इसलिए इस दिन के सम्मान में ही संविधान समिति ने 26 जनवरी को देश का संविधान लागू किया।
26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था संविधान
इसके बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1948 की शुरुआत में संविधान का मसौदा तैयार कर उसे संविधान सभा में पेश किया। 26 नवंबर 1949 को इसको अपनाया गया और 284 सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ 26 जनवरी 1950 को यह लागू हो गया था। गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के लिए अदभुत पराक्रम का प्रदर्शन करने वाले लोगों को वीरता पुरस्कारों से नवाजा जाता है। इनमें वो वीर सैनिक भी शामिल होते हैं, जिन्होंने देश की रक्षा में प्राण न्यौछावर किए थे। इस दिन राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराते ही उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है। यह सलामी भारत की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीर सैनिकों के सम्मान में दी जाती है।