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पुण्य तिथि: कभी कम नहीं हुई राव साहब की धाक और साख, आज भी चैपालों में सुनाये जाते है इनके किस्से

अशोकनगर। 31 अक्टूबर 2016 अशोकनगर की राजनीति के लिए एक बहुत बड़ी क्षति का दिन था। क्यों की इसी दिन अशोकनगर की जनता के चहेते नेता राव देशराज सिंह यादव जनता के बीच से चले गए थे। आज उनकी पुण्य तिथि है। राव नेता की धाक कभी कम नहीं हुई वे जितनी शान से जिए, उतनी ही शान से चले गए आइये नजर डालते है उनके राजनितिक जीवन पर

चंदेरी जनपद के एक छोटे से गांव अमरोद में किसान परिवार में 02 मार्च सन 1957 में जन्मे राव देशराज सिंह यादव को बचपन से राजनीति में रुचि थी। उनके जन्मवर्ष में ही मध्यप्रदेश के गठन के बाद पहली बार चुनाव हुए थे। तब किसी ने नहीं जाना था कि वह ढाई दशकों तक जिले की राजनीति पर एकछत्र राज करेंगे। 25वर्ष की आयु सन 1982 में जनसंघ की सदस्यता लेने के बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और मृत्युपयर्ंन्त जिले के सबसे बड़े नेता की अपनी छवि कायम रखी।

1983 में अमरोद ग्राम पंचायत के पंच निवार्चित होने के बाद वह भाजपा के कई मंडल व जिला स्तरीय पदों पर रहे। 1989 में अमरोद से सरपंच चुने गए।

इसी समय हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने राजमाता विजयाराजे सिंधिया के चुनाव का संचालन किया। चुनाव संपन्न होने के बाद देशराज सिंह से ने राजमाता को बचे हुए पैसे वापिस किए जो राजमाता के दिल में अमित छाप छोड़ गया। अगले ही वर्ष प्रदेश में नौंवी विधानसभा के चुनाव थे। लिहाजा राजमाता ने आशीवार्द के साथ देशराज सिंह को मुंगावली विधानसभा सीट से चुनावी तैयारी के निर्देश दे दिए। ग्रामीणों में सहज-सरल संवाद के लिए प्रसिद्ध देशराज सिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे।

इसी के बाद मुंगावली विधानसभा सीट मानो राव देशराज सिंह यादव के लिए ही आरक्षित हो गई। इस विधानसभा क्षेत्र उन्होंने 2013 तक सभी विधानसभा चुनाव लड़े। इस दौरान वह तीन बार विधायक रहे। इसी के साथ दिग्गज कांग्रेसी नेता स्व. माधवराव सिंधिया व उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ वह दो बार गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से भी चुनाव लड़े। वतर्मान में भी उनकी पत्नि बाईसाहब यादव अशोकनगर जिला पंचायत अध्यक्ष हैं तो पुत्र अजयप्रताप यादव अशोकनगर मंडी के अध्यक्ष।

यह परिवार जिले में राजनैतिक समीकरणों को बदलने का दमखम रखता है। अपने 27 वषीर्य राजनैतिक जीवन में वह कभी मंत्री या सांसद नहीं बने लेकिन उनकी धाक और साख कभी भी इनसे कम नहीं रही। उनके तीनों पुत्र उनकी राजनैतिक विरासत को बखूबी सहेजे और संभाले हैं। उनके अशोकनगर में तायड़े काॅलोनी स्थित आवास पर रोजाना समस्याएं लेकर कई लोग पहुंचते हैं। जिन्होंने उनका दौर देखा है, केवल वह ही समझ सकते हैं कि जनता का नेता होना क्या होता है और राव देशराज सिंह यादव होना क्या होता है।

अशोकनगर से मृदुभाषी के लिए विवेक शर्मा की रिपोर्ट।

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