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ज्ञानवापी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इसी कानून के सेक्शन 3 के मुताबिक सर्वे के आदेश में खामी नहीं थी

नई दिल्ली। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में शुक्रवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केस को वाराणसी जिला अदालत को ट्रांसफर कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी के मेंटेनेबिलिटी के मामले को प्राथमिकता से सुना जाना चाहिए और इसमें जिला जज सक्षम हैं, जो काफी अनुभवी हैं। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इस मामले में फैसला जिला अदालत ही करेगी। मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने 1991 के प्लेसेज आॅफ वर्शिप एक्ट का भी जिक्र किया और कहा कि इसके तहत ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश देना गलत था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसी कानून के सेक्शन 3 का जिक्र किया और कहा कि सर्वे के आदेश में खामी नहीं थी। बेंच के सीनियर सदस्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि धार्मिक स्थल का चरित्र तय करना भी हमारा काम है। 1991 के कानून का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूल जाइए कि वाराणसी में एक तरफ मस्जिद है और दूसरी तरफ मंदिर है। मान लीजिए कि पारसी मंदिर है और उसके एक कोने पर क्रॉस पाया जाता है। फिर क्या इसे क्रॉस अग्यारी कहा जाएगा या फिर अग्यारी क्रिश्चियन कहा जाएगा? हम इस हाइब्रिड कैरेक्ट से अनजान नहीं हैं। इस तरह ऐसी मिली-जुली चीजें पाए जाने पर एक पारसी पूजा स्थल क्रिश्चियन स्थान नहीं हो सकता और न ही ईसाई स्थान को पारसी मंदिर नहीं माना जा सकता। किसी भी स्थान का ऐसा हाइब्रिड कैरेक्टर हो तो फिर उसके निर्धारण के लिए जांच हो सकती है।

तो फिर मुश्किल होगी

कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के वकील हुफैजा अहमदी की दलील सुनने के बाद कहा कि अहमदीजी हम जो भी सुझाव दे रहे हैं वो आपके पक्ष में ही हैं। कोर्ट ने इस दौरान तल्‍ख लहजे में कहा कि 1991 के कानून के तहत केस की वैधता तय की जाएगी तो फिर मुश्किल होगी। उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील सुप्रीम कोर्ट में लगातार पूजा स्थल कानून 1991 के उल्लंघन की बात करते आए हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण बातें कहने के साथ ही प्लेसेज आॅफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला भी दिया।

कोर्ट ने कहीं ये तीन अहम बातें:

  1. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- धार्मिक स्थल कानून 1991 इस बात से बाधित नहीं करता है कि किसी धार्मिक स्थल के चरित्र का पता न लगाया जाए।
  2. अगर किसी धार्मिक स्थल के चरित्र का पता लगाया जा रहा है तो इस पर कोई रोक नहीं है।
  3. यह भी समझना होगा कि अगर किसी धार्मिक स्थल पर किसी दूसरे धर्म का चिह्न मिल जाता है तो उससे उस धार्मिक स्थल का चरित्र नहीं बदल जाएगा, जो स्थल जैसा है वैसा ही रहेगा।

एक्ट इस मामले में रोड़ा नहीं
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से साफ है कि 1991 का प्लेसेज आॅफ वर्शिप एक्ट इस मामले में रोड़ा नहीं अटकाता है। जानकारों का मानना है कि अदालत की टिप्पणी ने साफ कर दिया है कि ज्ञानवापी के मामले पर अब सुनवाई जारी रहेगी।

यह सब हुआ स्पष्ट

-सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस पूरे मामले में फैसला निचली अदालत ही करेगी।
-सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति को भी गलत नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि कमिशन का गठन किया जा सकता है और वह अपनी रिपोर्ट दे सकती है।
-अदालत ने मुस्लिमों के लिए वजू की वैकल्पिक व्यवस्था करने, शिवलिंग मिलने वाले स्थान की सील जारी रखने का भी आदेश बरकरार रखा।
-शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह आदेश अगले 8 सप्ताह यानी 17 जुलाई तक जारी रहेगा।
-कोर्ट ने आदेश दिया कि मस्जिद कमेटी की याचिका पर जिला अदालत में प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई होगी।

  • सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद जुलाई के दूसरे हफ्ते में करने का फैसला किया है।

समस्या जटील है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये जटिल सामाजिक समस्याएं हैं। इसमें मनुष्य द्वारा किया गया कोई भी समाधान सटीक नहीं हो सकता। हमारा आदेश इस बात पर था कि शांति व्यवस्था बनी रहे। यह काम अंतरिम आदेश से हो सकता है। हम देश की एकता के लिए एक संयुक्त मिशन पर हैं।

रिपोर्ट लीक नहीं होनी चाहिए

रिपोर्ट लीक होने के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार यहां रिपोर्ट आ जाए तो फिर वह सेलेक्टिव तौर पर लीक नहीं हो सकती। इसके साथ ही बेंच ने हिदायत दी कि रिपोर्ट लीक नहीं होनी चाहिए। इसे सिर्फ जज ही खोल सकते हैं।

हिंदू पक्ष के वकील ने जताई खुशी

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने मामला वाराणसी जिला अदालत को ट्रांसफर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसका 17 मई का शिवलिंग क्षेत्र की सुरक्षा का आदेश जारी रहेगा। वुजू के इंतजाम करने को कहा गया है। हम इस आदेश से खुश हैं।

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