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MP Election 2023: बहनों का लाड़ला कौन ? शिव या नाथ…

MP Election 2023

MP Election News 2023 : भोपाल – मध्य प्रदेश में कल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में 76.55 प्रतिशत मतदान हुआ जहां विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के पहले विभिन्न सर्वे में कांग्रेस को बढ़त मिलते आकड़ें दिख रहे थे लेकिन चुनाव नजदीक आते आते मुकाबला कांटे की टक्कर का हो गया। भाजपा ने चुनाव को अपने पाले मे लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के दौरे हो या फिर अश्विनी वैष्णव और भूपेन्द्र यादव को प्रभारी बनाकर पार्टी के अंदर भीतरघात और असंतोष से निपटने और अपनी स्थिति सुधारने की बात हो ।

क्या रहे इस विधानसभा चुनाव के मुख्य बिन्दु जिन्हे कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने अपने-अपने तरीके से अपनाए। जानते हैं इस विधानसभा चुनाव के कुछ मुख्य घटनाक्रम और किसकी बन सकती है सरकार

1. बिकाऊ और टिकाऊ

इस विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा जो कांग्रेस ने बनाया था वह था बिकाऊ हुआ टिकाऊ का और इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल ग्वालियर चंबल की उन सीटों पर किया गया जहां के विधायकों ने कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा ज्वाइन कर ली थी और इस मुद्दे का ग्वालियर चंबल की कुछ सीटों पर असर भी पड़ा जहां जनता ने पिछली बार कांग्रेस को वोट दिया था और उनके विधायक ने पाला बदलकर भाजपा ज्वाइन कर ली थी ,जिससे जनता में रोष था मतदाताओं का कहना था की विधायकों ने हमारे वोट का सौदा किया है इससे ग्वालियर चंबल की सीटों पर कांग्रेस को फायदा मिला है। हालांकि जनता इस बात को मन में लिए बैठी थी लेकिन काँग्रेस इस मुद्दे को उस तरीके से नहीं भुना पाई जिससे एक लहर बनती ।

2.राष्ट्रीय नेताओ को चुनाव लड़ना

मध्य प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में उसे समय भूकंप सा आ गया जब भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की और उसमें से 7 नाम राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं या केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के थे जो कि नरेंद्र सिंह तोमर कृषि मंत्री ,कैलाश विजयवर्गी राष्ट्रीय महासचिव , प्रहलाद सिंह पटेल राज्यमंत्री फगन सिंह कुलस्ते राज्यमंत्री और सांसद राकेश सिंह ,गणेश सिंह ,रीति पाठक ,उदय प्रताप सिंह को विधानसभा चुनाव मे उतारकर सबको चौंका दिया था। जिससे भारतीय जनता पार्टी को फायदा हुआ कि नहीं हुआ यह तो आने वाले समय पर पता चलेगा लेकिन जनता के बीच कान फूसी होने लगी थी कि भारतीय जनता पार्टी ने हार के डर से इन दिग्गजों को मैदान में उतारा है जिससे स्थिति को संभाल जा सके और यह बात सही भी थी । भारतीय जनता पार्टी ने डेमेज कंट्रोल के तौर पर इन्हे चुनाव लड़ाया था लेकिन वर्तमान में डेमेज कंट्रोल होता नहीं दिखा।

3. लाड़ली बहना योजना

मध्य प्रदेश में अगर फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है तो इसका पूरा श्रेय लाडली भेजना योजना को ही जाएगा यह योजना एक गेमचेंजर साबित होगी अगर मध्य प्रदेश में स्पष्ट बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है।

विधानसभा चुनाव के पूरे परिदृश्य पर अगर नजर डालें तो लाडली बहना योजना भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अपनी सरकार बना बचाने की योजना थी ,जब उनके पास और कोई चारा नहीं बचा तो उन्होंने महिलाओं को डायरेक्ट बेनिफिट देने का विचार बनाया और इस बार इस बार मध्य प्रदेश में करीब 31 लाख महिला वोटर भी बड़ी है जो की कुल मतदान के लगभग 9 % के बराबर है इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने लाडली बहन योजना लागू की और महिलाओं को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए पासा फेंका, हालांकि महंगाई ,भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और युवा बेरोजगारों जैसे मुद्दों ने लाडली बहना में अडंगा डाला लेकिन मतदान के दिन महिलाओं में जो जोश मतदान के प्रति देखने को मिला है उसे लगता है कि अगर लाडली बहन का 50% असर भी मध्य प्रदेश में हुआ है तो भाजपा सरकार बन जाएगी ,अब देखना यह है किस योजना के बावजूद क्या मध्यप्रदेश में भजपा की सरकार बन पाएगी।

4. लहर कही भी नहीं

मध्य प्रदेश में इस बार किसी भी पार्टी की लहर दिखाई नहीं दी कुछ चुनिंदा सीटों को छोड़ दिया जाए तो हर जगह मुकाबला कांटे का ही है ,जैसे का पिछली बार देखने में आया था कि कांग्रेस की लहर चल रही थी लोग खुलकर कांग्रेस को वोट देने की बात कह रहे थे लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के वोटर ने अंत तक अपना मन नहीं खोला और प्रदेश में किसी भी प्रकार की लहर नहीं चल पाई वोटर शांत था ,उसने अपने मन में ठान लिया था हालांकि पिछली कांग्रेस सरकार में जिन किसानों का कर्ज माफ हुआ था उन्होंने जरूर पुरजोर तरीके से कमलनाथ सरकार का समर्थन किया और कहा कि अगर कांग्रेस द्वारा सरकार में आती है तो हमारा पूरा कर्ज माफ होगा इस सबके बावजूद भी कांग्रेस मालवा निवाड़ और ग्वालियर चंबल क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।

5. आरएसएस नहीं दिखी ऐक्टिव

इस विधानसभा चुनाव में आरएसएस का वो चेहरा नहीं दिखा जो हमेशा दिखता था,इस बार इस फैक्टर का असर आरएसएस से जुड़े लोगों पर पड़ा है, जिससे काँग्रेस को फायदा मिल रहा है। आरएसएस के लोग शिवराज सिंह और सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज थे। विधानसभा चुनाव के पहले आरएसएस के पूर्व संचालकों के द्वारा अपनी नई पार्टी का गठन भी किया गया था। जिससे इस चुनाव मे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है।

6. नहीं चला मोदी मैजिक

मप्र में इस बार मोदी मैजिक नहीं चला, मोदी और शिवराज दोनों ही जनता के बीच अपना चेहरा लेकर नहीं जा पाए अंत मे भाजपा को लाड़ली बहना का सहारा ही लेना पड़ा ,सरकार अपनी उपलब्धियों को जनता के बीच नहीं बात पायी उसकी जगह सिर्फ लाड़ली बहना का ही सहारा रहा। जहां मोदी और अमित शाह ने मप्र मे अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, उसके बाद भी भाजपा मोदी और शिवराज के नाम पर वोट नहीं मांग पाई।

7. क्या रहा सिंधिया का प्रभाव

मध्य प्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी कराने वाले दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को भारतीय जनता पार्टी ने पूरे प्रदेश में स्टार प्रचारक के रूप भेजा,ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जितनी भी सभा की लगभग हर सभा में ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 18 महीने की कांग्रेस सरकार को असफल करार दिया ।

उन्होंने किसान कर्ज माफी और अतिथि शिक्षक वाले मुद्दों को भी बताया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार किसान का कर्ज माफ नहीं कर रही थी और भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी तो वहीं भाजपा के लिए उन्होंने शिवराज सिंह चौहान को बेहतरीन मुख्यमंत्री और लाडली बहन योजना को मतदाताओं के सामने रखा ।

अपनी आक्रामक शैली में भाषण देते हुए उन्होंने जनता के मन को तो मोह लिया लेकिन यह मोह भाजपा के पक्ष में वोट में परिवर्तित हो पाया कि नहीं यह अभी एक सवाल ही है भाजपा ने सिंधिया का इस चुनाव में भरपूर इस्तेमाल किया । लगभग 30 सिंधिया समर्थक विधायकों और मंत्रीयों को टिकट भी दिए गए । यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ग्वालियर में सिंधिया स्कूल के समारोह में शामिल हुए, तो उन्होंने सिंधिया को अपना दामाद भी बताया ,इससे एक मैसेज भी गया की सिंधिया मोदी के खासम खास है और सरकार बनती है तो सिंधिया इस प्रदेश के मुखिया हो सकते हैं।

विधानसभा चुनाव के इन सभी बिन्दुओ के सामीक्षा की जाए तो वैसे तो सरकार काँग्रेस की बन सकती है लेकिन भाजपा की गेमचेंजर लाड़ली बहना ही काँग्रेस पर अंकुश लगा सकती है अगर बहनों ने भैया का पूरा साथ डे दिया है तो मप्र में भाजपा फिर सत्ता में वापसी कर रही है।

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