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Kartik Purnima 2021: कार्तिक पूर्णिमा पर करें स्नान और दान, मिलेगी भगवान श्रीहरी की कृपा

Kartik Purnima 2021: सनातन संस्कृति में कार्तिक मास की पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीहरी की पूजा के साथ पर्व स्नान और दीपदान का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी।

कार्तिक मास का है बड़ा महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन कार्तिक मास का अंतिम स्नान रहता है। इस तिथि को किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। पवित्र नदी में स्नान करना संभव नहीं हो तो घर पर स्नान के जल में गंगाजल या पवित्र नदी का जल डालकर स्नान किया जा सकता है। कार्तिक पूर्णिमा का स्नान सूर्योदय से पूर्व करने का विधान है। इस दिन किए गए स्नान से पापों का नाश होकर पुण्य के साथ समृद्धि की प्राप्ति होती है और मानव विष्णु की कृपा का पात्र बन जाता है। मान्यता है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश,आदित्य, मरुदगण और अन्य सभी देवी-देवता कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर में स्नान करते हैं।

सूर्य को अर्घ्य देने का है विधान

शास्त्रोक्त मान्यता है कि इस दिन पूजा, तपस्या, यज्ञ आदि से भी उतना लाभ नहीं होता है, जितना सुबह स्नान करने के पश्चात भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से होता है। इस दिन सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देने से सभी पापों का नाश होता है। कार्तिक पूर्णिमा को अन्न, दूध, फल, चावल, तिल और आवंला दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। रात्रि में जल में कच्चा दूध, चावल और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है। पीपल के वृक्ष में जल में मीठा दूध मिलाकर चढ़ाने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। सामर्थ्य अनुसार इस तिथि को ब्राह्मण, बहन और बुआ को वस्त्र का दान कर दक्षिणा देना चाहिए।

इन नियमों का रखे ख्याल

कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। इस दिन सात्विक जीवनशैली का पालन करना चाहिए। तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, अंडा, प्याज, लहसुन आदि का त्याग करना चाहिए। भूमि पर ही शयन करने के साथ किसी भी तरह के विवाद से बचना चाहिए।

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