Dharm: सनातन संस्कृति में गंगा नदी और गंगा जल का विशेष महत्व है। गंगा को मां का दर्जा दिया गया है और स्मरण मात्र से मोक्ष की कामना की गई है। गंगाजल से आचमन, गंगा स्नान और गंगा जल के धार्मिक कार्यों में प्रयोग का काफी महिमामंडन शास्त्रों में किया गया है। गंगाजल हर सनातन संस्कृति को मानने वाले परिवार में रहता है। आइए जानते हैं जुड़ी खास बातें।
धातु के पात्र में रखे गंगाजल
गंगाजल को घर में रखना अति शुभ माना जाता है, लेकिन इसको ऱखने पर कुछ विशेष सावधानियों का पालन करना पड़ता है। गंगाजल को प्लास्टिक के पात्र में नहीं रखना चाहिए। इससे गंगाजल की पवित्रता भंग होती है। गंगाजल को चांदी, तांबे, कांसे या मिट्टी के पात्र में रखने का प्रावधान है। इन धातुओं या मिट्टी के पात्र में गंगाजल रखने से उसकी पवित्रता बरकरार रहती है।
सात्विकता का रखें ध्यान
गंगाजल जिस स्थान पर रखा हो, उसकी स्वच्छता और पवित्रता का खास ख्याल रखें। इसलिए गंगाजल को सदैव घर के पूजाघर में रखे। घर के पूजाघर में गंगाजल को जल की दिशा ईशान कोण में रखें। गंगाजल के पात्र का स्पर्श करते वक्त पवित्रता और सात्विकता का विशेष ध्यान रखें। जिस जगह पर गंगाजल रखा हो वहां पर रोशनी की व्यवस्था करें। गंगाजल के पात्र या गंगाजल को स्वच्छ हाथों से स्पर्श करें नहीं तो ग्रहदोष लगता है।