कुरुक्षेत्र। भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा अर्जुन को कुरुक्षेत्र के मैदान में हजारों साल पहले दिया गया कर्म का संदेश आज भी दुनिया को राह दिखला रहा है। श्रीकृष्ण ने मोह माया में जकड़े हुए हताश और निराश अर्जुन को एकादशी तिथि को संदेश दिया था। आइये जानते हैं गीता जयंती के संबंध में खास बातें।
श्रीकृष्ण ने दिया था अर्जुन को संदेश
लंबे समय से युद्ध की प्रतिक्षा कर रहे और प्रतिशोध के दावानल में जल रहे अर्जुन का सामना जब रणभूमि में अपने रिश्तेदारों से हुआ तो उन्होनें राजपाठ और प्रतिशोध के लिए युद्ध करने का विचार त्याग दिया, लेकिन सारथी बने श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया और उपदेश दिया कि यह युद्ध तुम्हारी महत्वाकांक्षाओं और बदले के लिए नहीं है। यह एक ऐसा युद्ध है, जिससे विश्व में शांति की स्थापना होगी और चारों और सुशासन के साथ एक नए युग का आगाज होगा।
गीता को कहा जाता है गीतोपनिषद
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि जो तुम्हारे सामने खड़े हैं वो तुम्हारे लिए सम्मानीय़ होते हुए भी वे अधर्म की ओर से लड़ रहे हैं। तुम जिन लोगों से युद्ध कर रहे हो वो युद्ध में यदि वीरगति को प्राप्त होते हैं तो उनको मोक्ष मिलेगा, क्योंकि आत्मा अजर और अमर है। इसको कोई नहीं मार सकता है। जिस तरह से शरीर पुराने कपड़े बदलकर नए वस्त्र धारण कर लेता है उसी तरह शरीर भी एक वस्त्र की तरह है और आत्मा एक तय समय पर पुराने शरीर का त्याग कर देती है। इसलिए हे! अर्जुन शोक न कर युद्ध कर।
गीता में है 18 अध्याय और 700 श्लोक
इस तरह से श्रीकृष्ण ने अर्जुन को रणभूमि में कर्म और कर्तव्य पथ पर अग्रसर किया था। इसलिए इस दिन का सनातन संस्कृति में खास महत्व है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को दिया था इसलिए इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है। इस साल गीता जयंती 25 दिसंबर शुक्रवार को है। श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश मोक्षदायक माना जाता है, इसलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। गीता का संदेश 18 अध्याय और 700 श्लोकों में समाया हुआ है। गीता की गणना उपनिषदों में होती है इसलिए इसको गीतोपनिषद भी कहा जाता है।