Ganeshotsav 2021: विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धी के दाता श्रीगणेश की आराधना से समस्त कष्टों का नाश होता है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। गणेशजी को दूर्वा अति प्रिय है। आइए जानते हैं गजानन को दूर्वा अर्पित किस तरह से की जाती है।
हरी घास है दूर्वा
गणेश चतुर्थी की पर्व उस समय मनाया जाता है, जब धरती पर हरियाली की चादर बिछी हुई रहती है। चारों और बारिश की बू्दों से धरती का श्रंगार होता रहता है। भाद्रपद मास में गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। श्रीगणेश को दूर्वा घास अतिप्रिय है। मान्यता है कि श्रीगणेश को दूर्वा घास चढ़ाने से समस्त मनेकामनाएं पूर्ण होती है। दूर्वा घास मानव जीवन में खुशियों को बढ़ाने वाली होती है।
जोड़े में अर्पित करें दूर्वा
श्रीगणेश को दूर्वा समर्पित करने के लिए विशेष शास्त्रोक्त परंपरा का पालन करना चाहिए। गणेश जी को सदैव दूर्वा का जोड़ा बनाकर चढ़ाना चाहिए यानि कि 22 दूर्वा को जोड़े से बनाने पर 11 जोड़ा दूर्वा का तैयार हो जाता है। श्रीगणेश को 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा अर्पित की जाती है। दूर्वा हमेशा किसी स्वच्छ जगह से लेना चाहिए। किसी मंदिर की जमीन में उगी हुई या बगीचे में उगी हुई दूर्वा को पवित्र और शुभ फलदायी माना जाता है। श्री गणेश को 22 दूर्वा इन विशेष मंत्रों के साथ अर्पित की जानी चाहिए।
इन मंत्रों के साथ गणेश जी को 11 जोड़ा दूर्वा चढ़ाए-
ऊं गणाधिपाय नमः
ऊं उमापुत्राय नमः
ऊं विघ्ननाशनाय नमः
ऊँ विनायकाय नमः
ऊं ईशपुत्राय नमः
ऊं सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ऊँएकदन्ताय नमः
ऊं इभवक्त्राय नमः
ऊं मूषकवाहनाय नमः
ऊं कुमारगुरवे नमः रिद्धि-सिद्धि सहिताय
श्री मन्महागणाधिपतये नमः
यदि इन मंत्रों को बोलनें में परेशानी हो तो इस मंत्र को बोल कर गणेश जी को दूर्वा अर्पण करें।
श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि।