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जिन बुजुर्गों को शहर की सरहद से किया था बाहर, वे वृद्धाआश्रम में रहना नहीं चाहते हैं, जानिए वजह

इंदौर। इंदौर में पिछले दिनों बुजुर्गों को शहर की सरहद के बाहर निकालने पर काफी बवाल मचा था। इसको शासन-प्रशासन ने काफी गंभीरता से लिया था और इस मामले में दोषी कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता भी दिखलाया था, लेकिन वृद्ध आश्रम में अब अच्छे तरीके से रह रहे ये बुजुर्ग यहां पर रहना नहीं चाहते हैं और पहले जैसी जिदगी ही गुजारना चाहते हैं।

फुटपाथ पर जिंदगी गुजारना है मंजूर

कुछ दिन पूर्व नगर निगम कर्मचारियों द्वारा बेसहारा बुजुर्ग दंपतियों को भेड़ बकरी की तरह गाड़ी में भरकर शहर से बाहर कर दिया था। उस वक्त इन बुजुर्गों की स्थिति पर काफी बवाल मचा था, लेकिन अब हैरान करने वाली खबर यह है कि वृद्धा आश्रम में रह रहे ये बुजुर्ग फिर से सड़कों पर जीवन बसर करना चाहते हैं। इंदौर के परदेशीपुरा स्थित वृद्ध आश्रम में रह रहे 3 बुजुर्ग दंपति आश्रम में रहना नहीं चाहते हैं।

अमरावती भाई उर्फ अम्मू ने बताया कि वह आश्रम में रहना नहीं चाहती है और अपना जीवन फुटपाथ पर ही बिताना चाहती है। वही सूरज बाई जो कि शारीरिक और मानसिक रोग से कमजोर है जिसकी देखभाल वृद्ध आश्रम के कर्मचारियों द्वारा की जा रही है, उनका भी यही कहना है। वही इंदौर को संगीत में अपनी विशेष पहचान दिलाने वाले चटर्जी दादा आश्रम में रहकर अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं और शारीरिक और मानसिक रूप से काफी कमजोर हो चुके चटर्जी दादा भी आश्रम में रहना नहीं चाहते हैं, क्योंकि उनके मानसिक हालत खराब है।

बुजुर्गों का रखा जाता है खास ख्याल

वहीं वृद्धाश्रम के कर्मचारियों का कहना है कि आश्रम में बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जाता है, इसके बावजूद वह आश्रम में रहना नहीं चाहते हैं। इन बुजुर्गों को आश्रम के द्वारा सुबह शाम खाना, नाश्ता समय-समय पर चेकअप और अन्य सुविधाएं भी आश्रम द्वारा दी जा रही है और समय-समय पर प्रशासन के अधिकारियों द्वारा बुजुर्ग दंपतियों की जानकारियां भी दी जाती है।

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