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गुजरात में BJP ने फिर चौंकाया, भूपेंद्र पटेल को चुना नया मुख्यमंत्री

नई दिल्ली। भूपेंद्र पटेल गुजरात के अगले मुख्यमंत्री होंगे। गुजरात का अगला मुख्यमंत्री बनने के नाम में सभी सियासी दावेदारों को चौंकाते हुए बीजेपी विधायक दल की बैठक में यह फैसला हुआ है।

खबरों के मुताबिक, भूपेंद्र पटेल पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के बेहद करीबी माने जाते हैं. आनंदीबेन पटेल ने जब पद से इस्तीफा दिया था तो उनकी ही सीट से भूपेंद्र चुनाव लड़े थे. मुख्यमंत्री पद की रेस में डिप्टी सीएम नितिन पटेल, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, पुरुषोत्तम रुपाला और आर.सी. फालदू का नाम चर्चा में था। मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भूपेंद्र पटेल के नाम का प्रस्ताव रखा, जिस पर मुहर लगी। विधायक दल की बैठक में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पार्टी महासचिव तरुण चुघ को बतौर पर्यवेक्षक भेजा गया था। गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

कांग्रेस के शशिकांत वासुदेवभाई पटेल को हराया था

नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि गांधीनगर में भाजपा विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगी है। भूपेंद्र भाई जल्द ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, हालांकि उन्होंने शपथ ग्रहण का दिन नहीं बताया है। भूपेंद्र रजनीकान्त पटेल ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अहमदाबाद जिले की घाटलोडिया सीट से कांग्रेस के शशिकांत वासुदेवभाई पटेल को हराया था।

RSS की बैठक में लिखी गई रुपाणी के इस्तीफे की स्क्रिप्ट

सूत्रों के मुताबिक विजय रुपाणी गुजरात के लिए कभी भी स्थाई CM थे ही नहीं। उनका जाना तो तय था, बस तारीख तय नहीं थी। तारीख पर मुहर संघ प्रमुख के हाल ही में हुए गुप्त दौरे में मिले फीडबैक के बाद लगा दी गई। हालांकि उन्हें 2022 की जनवरी या फरवरी में इस्तीफा देना था, लेकिन भागवत के गुप्त दौरे ने रुपाणी के CM पद की उम्र थोड़ी कम कर दी।

उत्तराखंड में एक साल बाद चुनाव होने थे

भाजपा के जिन पांच मुख्यमंत्रियों को बदला गया है, उनमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का कार्यकाल सबसे छोटा रहा। उन्होंने 10 मार्च को पदभार ग्रहण किया और 2 जुलाई को इस्तीफा दे दिया। वे तीन महीने भी कुर्सी पर नहीं रह सके। तीरथ गढ़वाल से लोकसभा सांसद थे। दावा यह भी किया गया कि उत्तराखंड में एक साल बाद चुनाव होने थे। इस वजह से चुनाव आयोग किसी भी विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं करवाने वाला था। अगर तीरथ मुख्यमंत्री बने रहते तो उनके लिए विधानसभा सदस्य बन पाना मुश्किल हो सकता था। कानूनन उन्हें 10 सितंबर तक किसी भी स्थिति में विधानसभा का सदस्य होना आवश्यक था। तीरथ के बाद पुष्कर सिंह धामी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। तीरथ अब भी लोकसभा सदस्य हैं।

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