इंदौर। देशभर में चर्चित रहे भय्यू महाराज आत्महत्या मामले में करीब साढ़े तीन साल की सुनवाई के बाद शुक्रवार को फैसला आ गया। सत्र न्यायालय ने इस बहुचर्चित सुसाइड केस में भय्यू महाराज के सबसे करीबी तीन लोगों को दोषी माना है। कोर्ट ने भय्यू महाराज के मुख्य सेवादार विनायक, शिष्या पलक और ड्राइवर शरद को सुसाइड के लिए उकसाने का दोषी ठहराते हुए छह-छह साल के सश्रम कारावास की सजा हुई है। भय्यू महाराज (50) ने इंदौर के बायपास रोड स्थित अपने बंगले में 12 जून 2018 को अपने लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। कोर्ट ने माना कि आरोपी महाराज को पैसों के लिए प्रताड़ित करते थे। उन्हें ब्लैकमेल भी किया जाता था।
सुसाइड नोट में विनायक का जिक्र
इंदौर पुलिस ने इन तीनों आरोपियों को जनवरी 2019 में गिरफ्तार किया था। तब भी यह जानकारी सामने आई थी कि तीनों मिलकर महाराज का आर्थिक शोषण करने के लिए उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहे थे। भय्यूजी महाराज ने भी अपने सुसाइड नोट में विनायक का जिक्र किया था क्योंकि वो भय्यूजी का 16 साल पुराना वफादार सेवक था। भय्यू महाराज की आत्यहत्या के बाद इस मामले में बेटी कुहू और दूसरी पत्नी आयुषी के बीच विवाद को प्रचारित किया गया था, लेकिन बाद में जांच हुई थी सच सामने आ गया कि उनके सबसे करीबी सेवक ही उनकी जान के दुश्मन निकले। जो सेवादार भय्यू महाराज के लिए परिवार से बढ़कर थे, जिन पर उन्हें इतना विश्वास था कि उनके भरोसे उन्होंने अपने आश्रम और कामकाज सौंप रखे थे, उन्हीं सेवादारों ने उन्हें पैसों के लिए इतना प्रताड़ित किया कि मजबूरी में उन्हें आत्महत्या जैसे कदम उठाना पड़ा। पूरे मामले की जांच में आजाद नगर की सीएसपी पल्लवी शुक्ला का अहम योगदान रहा।
तीनों को इन धाराओं के तहत दोषी माना
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने आध्यात्मिक गुरु की आत्महत्या के हाई-प्रोफाइल मामले में पलक पौराणिक (28), विनायक दुधाड़े (45) और शरद देशमुख (37) को भारतीय दंड विधान की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), धारा 306 (आत्महत्या के लिये उकसाना) और धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई।
इस तरह चलती रही सुनवाई
- भय्यूजी महाराज केस में अभियोजन पक्ष की तरफ से 32 गवाह कोर्ट में पेश हुए थे। इसमें भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी, बेटी कुहू और बहन समेत डॉ. पवन राठी के बयान भी कोर्ट में हुए।
- इस मामले में 19 जनवरी को साढ़े पांच घंटे सुनवाई हुई थी। इसमें ही तय हुआ था कि भय्यू महाराज आत्महत्या केस में 28 जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा।
- इससे पहले शरद के वकील धर्मेंद्र गुर्जर ने दो दिन में 10 घंटे और पलक के वकील अविनाश सिरपुरकर ने पांच दिन तक अपने तर्क रखे थे।
- आरोपी विनायक की तरफ से एडवोकेट आशीष चौरे ने तर्क रखे। इससे पहले दो सप्ताह तक सरकार, शरद और विनायक की ओर से अंतिम बहस हुई थी।
सबसे आखिर में हुए आयुषी के बयान
पूरे मामले में भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी ने कोर्ट के समक्ष पेश होने के लिए कई बार अलग-अलग दलीलें पेश की थीं। आरोपी पक्ष द्वारा सबसे लंबा क्रॉस एग्जामीनेशन आयुषी का किया गया था, जिसमें एक बार आयुषी कोर्ट में बयान देते वक्त रो पड़ी थी।
बंदूक को लेकर अहम बयान
जिला न्यायालय में बचाव पक्ष के गवाह ने अपने बयान दर्ज कराए थे। जिसमें सेवादार प्रवीण ने कोर्ट के सामने कहा था कि घटना के 1 महीने पहले भी भय्यू महाराज अपने आप को गोली मारने की कोशिश कर चुके थे। लेकिन सेवादार ने बंदूक छिपा दी थी। जिसके बाद उनकी दूसरी पत्नी आयुषी ने फोन पर ये जानकारी मांगी कि बंदूक कहां छुपाई है। सेवादार प्रवीण घाड़गे ने आयुषी को कहा था कि यदि वह बंदूक महाराज को दे देंगे, तो वह कोई गलत कदम उठा सकते हैं, लेकिन आयुषी ने सेवादार को यह कहा था कि महाराज को शहर से बाहर जाना है। उन्हें बंदूक की जरूरत है।
शादी के लिए दबाव बना रही थी पलक
पुलिस के मुताबिक पलक, भय्यू महाराज पर आपत्तिजनक चैट और अन्य निजी वस्तुओं के बूते उन पर शादी के लिए कथित रूप से दबाव बना रही थी, जबकि अधेड़ उम्र के आध्यात्मिक गुरु पहले से शादीशुदा थे।
नशीली दवाएं दी जा रही थी संत को
तत्कालीन सीएसपी सुरेंद्र सिंह ने भय्यू महाराज के घर से छोटी-सी डायरी के पन्ने पर लिखा सुसाइड नोट बरामद किया था। इसमें उन्होंने लिखा था कि वह भारी तनाव से तंग आकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर रहे हैं। पुलिस ने पौराणिक, दुधाड़े और देशमुख को गिरफ्तार करने के बाद मीडिया से कहा था कि वे भय्यू महाराज को ब्लैकमेल करने के साथ ही उन्हें अधिक मात्रा में नशीली दवाएं भी दे रहे थे।
ऐसा रहा घटना क्रम
- 12 जून 18 को भय्यूजी ने किया सुसाइड।
- 2019 में तीन आरोपियों की गिरफ्तारी।
- 32 गवाहों को कोर्ट ने सुना।
- 150 लोगों की पेशी की गईं।