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Assam-Mizoram Border Dispute: 150 साल पुराना है सीमा विवाद, फिरंगी राज में छुपी है जड़ें

Assam-Mizoram Border Dispute: देश के पूर्वोत्तर के दो राज्यों असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर भड़की हिंसा में पांच पुलिसकर्मियों की मौत हो गई जबकि 50 से ज्यादा घायल हो गए। घायलों में एक पुलिस अधीक्षक भी शामिल हैं। पूर्वोत्तर के इन दोनों राज्यों में सीमा विवाद 150 साल पुराना है। आइए जानते हैं क्या है यह विवाद।

1875 की अधिसूचना है विवाद की जड़

विवाद की इस जड़ में फिरंगी राज में जारी की गई 1875 की एक अधिसूचना है। इसके मुताबिक लुशाई पहाड़ियां कछार के मैदानी इलाकों से अलग होती है। 1972 तक मिज़ोरम असम का ही हिस्सा था। इससे पहले लुशाई हिल्स नाम से असम का एक ज़िला हुआ करता था और इसका मुख्यालय आइजोल था। मिजोरम और असम के बीच 164.6 किलोमीटर की सीमा साझा होती है।

1318 वर्ग किलोमीटर पर दोनों का दावा

मिजोरम जब लुशाई हिल्स के नाम से असम का हिस्सा था उस वक्त भी मिज़ो आबादी और लुशाई हिल्स का क्षेत्र निर्धारित था। इसी इलाके को 1असम875 में अंग्रेजी राज में चिन्हित किया गया था। मिज़ोरम की राज्य सरकार 1875 की अधिसूचना के तहत अपनी सीमा का दावा करती है। जबकि असम सरकार इस अधिसूचना को सिरे से नकारती है और 1933 में चिन्हित की गई सीमा के मुताबिक अपना दावा करती है। विवाद की असल वजह एक-दूसरे पर ओवरलैप 1318 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा है, जिस पर दोनों सरकारें दावा छोड़ने को कतई तैयार नहीं हैं।

बीइएफ़आर एक्ट से हुआ था नोटिफिकेशन

इस मामले में मिजोरम का कहना है कि 1875 का नोटिफ़िकेशन बंगाल ईस्टर्न फ़्रंटियर रेगुलेशन (बीइएफ़आर) एक्ट, 1873 के तहत था, जबकि 1933 में जो नोटिफ़िकेशन जारी किया गया उस वक्त मिज़ो समुदाय से सलाह मशविरा नहीं किया गया था। असम-मिजोरम सीमा पर असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांदी ज़िले आते हैं, जबकि मिजोरम के आइजोल, कोलासिब और ममित जिले आते हैं। असम का सीमा को लेकर विवाद मिज़ोरम के अलावा मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड से भी है।

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