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Sharad Yadav Death: शरद यादव के निधन पर बिहार में 1 दिन का राजकीय शोक, कल पैतृक गांव में होगी अंत्येष्टि

Sharad Yadav Death: पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद यादव Sharad Yadav के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। साथ ही बिहार सरकार ने आज एक दिन के राजकीय अवकाश की घोषणा भी की है।

Sharad Yadav Died In Delhi Says Daughter Subhashini | Sharad Yadav Death:  दिग्गज नेता शरद यादव का निधन, पीएम मोदी, राहुल गांधी, नीतीश कुमार सहित  देशभर के नेताओं ने जताया शोक

मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि शरद यादव जी से मेरा बहुत गहरा संबंध था। मैं उनके निधन की खबर से स्तब्ध एवं मर्माहत हूं। वे एक प्रखर समाजवादी नेता थे वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में नागरिक उड्डयन मंत्री, श्रम मंत्री, उपभोक्ता मामलों के मंत्री तथा खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री के रूप में कार्य कर चुके थे शरद यादव जी ने अपने व्यक्तित्व की बदौलत राजनीतिक सीमाओं के परे सभी विचारधारा के राजनीतिक दलों का आदर एवं सम्मान प्राप्त किया। वे 7 बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा सांसद रहे। उनका निधन समाजवादी आंदोलन के लिये एक बड़ी क्षति है वे लोहिया जी के विचारों पर चलनेवाले राजनेता थे।

CM ने शरद के परिवार को फोन कर दी सांत्वना

मुख्यमंत्री ने Sharad Yadav शरद यादव जी के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताते हुए कहा है कि शरद यादव जी के निधन से सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने स्व. शरद यादव की धर्मपत्नी, पुत्री एवं पुत्र से दूरभाष पर वार्ता कर उन्हें सांत्वना दी। शरद यादव जी के निधन पर राज्य सरकार ने राज्य सरकार ने एक दिन यानि आज 13 जनवरी के राजकीय शोक की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

PM मोदी ने दुख जताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Sharad Yadav शरद यादव जी के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे। मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। शांति।

लालू ने लिखा-बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं

लालू यादव ने शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया में वीडियो मैसेज पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि अभी सिंगापुर में हूं और शरद भाई के जाने का दुखद समाचार मिला। बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं। आने से पहले मुलाकात हुई थी और कितना कुछ हमने सोचा था समाजवादी व सामाजिक न्याय की धारा के संदर्भ में। शरद भाई…ऐसे अलविदा नहीं कहना था। भावपूर्ण श्रद्धांजलि!

वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे

शरद यादव Sharad Yadav ने 1999 और 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विभिन्न विभागों में मंत्री रहे थे। 2003 में शरद यादव जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष बने थे। वह NDA के संयोजक भी रहे। साल 2018 में जदयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) बनाया था। पिछले साल अपनी पार्टी के RJD में विलय की घोषणा कर दी थी।

नर्मदापुरम में जन्मे, 1974 में जबलपुर से पहली बार सांसद बने थे

शरद यादव मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम( होशंगाबाद) जिले में स्थित बाबई गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 1 जुलाई 1947 को किसान परिवार में हुआ। जब वे 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनकी दिलचस्पी राजनीति में हुई। यहां वे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। छात्र संघ अध्यक्ष बनने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।

राम मनोहर लोहिया से प्रभावित थे

शरद यादव Sharad Yadav छात्र राजनीति करने के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई में भी अव्वल थे। उन्होंने बीई ‘सिविल’ में गोल्ड मेडल जीता था। वे राजनीति में राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित थे। वे अक्सर लोहिया के आंदोलनों में हिस्सा लिया करते थे। इस दौरान उन्हें ‘मिसा’ (misa) के तहत कई बार गिरफ्तार किया गया। उन्हें 1970, 72 और 75 में जेल जाना पड़ा। शरद यादव ने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कराने में भी अहम भूमिका निभाई।

शरद यादव का राजनीतिक करियर

उनका राजनीतिक करियर तो छात्र राजनीति से ही शुरू हो गया था, लेकिन सक्रिय राजनीति में उन्होंने साल 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। यह सीट हिंदी सेवी सेठ गोविंददास के निधन से खाली हुई थी। ये समय जेपी आंदोलन का था। जेपी ने उन्हें हल्दर किसान के रूप में जबलपुर से अपना पहला उम्मीदवार बनाया था। शरद इस सीट को जीतने में कामयाब रहे और पहली बार संसद भवन पहुंचे। इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए। उन्हें युवा जनता दल का अध्यक्ष भी बनाया गया। इसके बाद वे साल 1986 में राज्यसभा के लिए चुने गए।

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