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एक महीने पहले कमीशन हुई महाशक्तिशाली पनडुब्बी को भी किया तैनात

बीजिंग। ताइवान को लेकर चीन अब आर या पार की मूड में नजर आ रहा है। यही कारण है कि सैन्य अभ्यास के खत्म होते ही चीनी प्रशासन ने श्वेत पत्र जारी कर ताइवान को दिए गए स्वायत्ता के आॅफर को वापस ले लिया है। चीन के गुस्से का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने जुलाई में कमीशन हुई अपनी सबसे नई पनडुब्बी को भी ताइवान के पास तैनात कर दिया है। यह डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी बताई जा रही है, जो स्वदेशी एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन से लैस है। इस कारण चीन की नई पनडुब्बी को डिटेक्ट करना काफी मुश्किल है। यह पनडुब्बी कई तरह की एंटी शिप और लैंड अटैक मिसाइलों से लैस है। ऐसे में अगर ताइवान के खिलाफ चीन कोई सैन्य कार्रवाई करता है तो यह पनडुब्बी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

टाइप-039ए का नया वेरिएंट है यह पनडुब्बी

नेवल न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह पनडुब्बी चीन के टाइप -039 ए युआन क्लास का एक नया वेरिएंट है। इसका सटीक नाम ज्ञात नहीं है, लेकिन पश्चिमी विश्लेषकों का मानना है कि यह टाइप-039ए या -डी है। इस पनडुब्बी को वुहान में बनाया गया था, और फिटिंग के लिए शंघाई भेजा गया था। लॉन्च के ठीक एक साल बाद अब इसे एक आॅपरेशनल बोट के तौर पर एक्टिव कर दिया गया है। पनडुब्बियों के नए क्लास के लिए चीन का नया हथियार काफी शक्तिशाली माना जा रहा है।

वायजे-18 सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल से है लैस

चीन की इस नई पनडुब्बी को स्टील्थ फीचर के साथ बनाया गया है। यह पनडुब्बी बाहर से स्वीडिश ए-26 की डिजाइन की तरह दिखाई देती है। अपनी यूनिक डिजाइन के कारण समुद्र के अंदर इसे डिटेक्ट करना काफी मुश्किल है। इस पनडुब्बी में शक्तिशाली मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (वीएलएस) लगा हुआ है। संभावना है कि इसमें भी युआन क्लास की दूसरी पनडुब्बियों की तरह ही हथियार लगे हैं। यह पनडुब्बी ख-18 सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल से भी लैस है। पनडुब्बी में एक टोड ऐरे सोनार भी है, जो ऊपरी पतवार से होकर निकलता है।

तेजी से युद्धपोत और पनडुब्बियां बना रहा चीन

दक्षिण चीन सागर में बढ़ते तनाव को देखते हुए चीन इस समय काफी तेजी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। चीन की 62 में से सात पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं। ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ रहा है। चीन पहले से ही जहाज निर्माण की कला में पारंगत था। साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताकत को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया था। पीएलए को विश्व-स्तरीय फाइटिंग फोर्स में बदलने के काम आज भी उसी तेजी से जारी है।

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