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सेना की तीनों शाखाओं के लिए होगी अग्निवीरों की 4 साल के लिए भर्ती, स्थायी सैनिकों की तरह अवॉर्ड-मेडल, पर पेंशन नहीं

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 14 जून को सेना की तीनों शाखाओं- थलसेना, नौसेना और वायुसेना में युवाओं की बड़ी संख्या में भर्ती के लिए अग्निपथ भर्ती योजना शुरू की है। इस स्कीम के तहत नौजवानों को सिर्फ 4 साल के लिए डिफेंस फोर्स में सेवा देनी होगी। सरकार ने यह कदम तनख्वाह और पेंशन का बजट कम करने के लिए उठाया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ तीनों सेनाध्यक्षों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस योजना का ऐलान किया है। पहली भर्ती रैली 90 दिनों में होगी। डिपार्टमेंट आॅफ मिलिट्री अफेयर्स की तरफ से तैयार की गई अग्निपथ रिक्रूटमेंट स्कीम को पहले टूर आॅफ ड्यूटी नाम दिया गया था। इस स्कीम के तहत शॉर्ट-टर्म के लिए ज्यादा सैनिकों की भर्ती की जाएगी। विभाग ही इसको लागू भी करेगा। सरकार ने अपने खर्चों में कटौती के लिए और डिफेंस फोर्स में युवाओं की संख्या बढ़ाने के लिए इस स्कीम को पेश किया है।

देश के रक्षक बनेंगे अग्निवीर

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया कि इससे रोजगार के मौके बढ़ेंगे। सेना यूथफुल होगी। योजना के तहत सेना में भर्ती होने वालों को अग्निवीर कहा जाएगा। सेना में अभी औसत उम्र 32 साल है जो अगले छह से सात साल में घटकर 24 से 26 साल के बीच आ जाएगी। इस योजना को रक्षा बलों के खर्च को कम करने की दिशा में सरकार के प्रयासों का एक हिस्सा भी माना जा रहा है।

क्या है अग्निपथ योजना?

अग्निपथ भर्ती योजना के तहत युवाओं को चार साल की अवधि के लिए सेना में शामिल होने का मौका मिलेगा। साढ़े 17 साल से 21 साल के युवा लड़के और लड़कियां इसके लिए पात्र होंगे। इसके लिए 10वीं से लेकर 12वीं तक के छात्र आवेदन कर सकेंगे। इसकी शुरूआत 90 दिन के भीतर हो जाएगी। इस साल 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। पहली भर्ती प्रक्रिया में युवाओं को छह महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग का समय भी चार साल में शामिल होगा।

सेवानिधि पैकेज क्या है?

हर अग्निवीर को भर्ती के साल 30 हजार महीने तनख्वाह मिलेगी। इसमें से 70 फीसदी यानी 21 हजार रुपये उसे दिए जाएंगे। बाकी 30 फीसदी यानी नौ हजार रुपये अग्निवीर कॉर्प्स फंड में जमा होंगे। इस फंड में इतनी ही राशि सरकार भी डालेगी। दूसरे साल अग्निवीर की तनख्वाह बढ़कर 33 हजार, तीसरे साल 36.5 हजार तो चौथे साल 40 हजार रुपये हो जाएगी। चार साल में उसकी कुल बचत करीब 5.02 लाख रुपये होगी। वहीं सरकार की ओर से भी इतनी ही रकम जमा की जाएगी। नौकरी पूरी होने के बाद उसे ये रकम ब्याज सहित मिलेगी। जो करीब 11.71 लाख रुपये होगी। ये रकम टैक्स फ्री होगी।

शहीद को 1 करोड़ और दिव्यांग होने पर 44 लाख मिलेंगे

सेवा के दौरान शहीद होने या दिव्यांग होने पर आर्थिक मदद का प्रावधान भी है। अगर कोई अग्निवीर देश सेवा के दौरान शहीद हो जाता है तो उसे सेवा निधि समेत एक करोड़ से ज्यादा की राशि ब्याज समेत दी जाएगी। इसके अलावा बची हुई नौकरी का वेतन भी दिया जाएगा। अगर कोई जवान ड्यूटी के दौरान डिसेबिल यानी दिव्यांग हो जाता है तो उसे 44 लाख रुपये तक की राशि दी जाएगी और बची हुई नौकरी का भी वेतन दिया जाएगा। चार साल की नौकरी के बाद युवाओं को सेवा निधि पैकेज दिया जाएगा। जो 11.71 लाख रुपए होगा।

चार साल बाद 25 फीसदी सैनिक होंगे स्थायी

चार साल के सेवाकाल के बाद 75 फीसदी जवानों की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी। अधिकतम 25 फीसदी को रेगुलर काडर में जगह मिलेगी। इसके लिए सेवाकाल पूरा होने के बाद ऐच्छिक आधार पर रेगुलर काडर के लिए आवेदन करना होगा। जिन जवानों को सेवा से मुक्त किया जाएगा, उन्हें सशस्त्र बल व अन्य सरकारी नौकरियों में वरीयता मिलेगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि चार साल के सेवाएं देने वाले अग्निवीर को कई राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों में आने वाली नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी। रक्षा मंत्री के एलान के बाद राज्यों के ओर से इस तरह की घोषणाएं भी होने लगी हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस में अग्निवीर जवानों को भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी।

सेना में भर्ती में होने वाले बदलाव

नई योजना में भर्ती की प्रक्रिया पहले की ही तरह रहेगी। चयनित होने के बाद छह महीने के कठिन ट्रेनिंग होगी। इसके बाद तैनाती होगी। नई योजना से सेना में युवाओं को ज्यादा मौके मिलेंगे। अभी सेना की औसत आयु 32 साल है। योजना लागू होने के बाद अगले छह से सात साल में ये घटकर 24 से 26 साल हो जाएगी।

पेंशन से बचने के लिए ये स्कीम लाई गई है?

इस सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस स्कीम को संदेह की नजर से नहीं देखना चाहिए। इस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए ही यह कदम उठाया गया है। सेना में यूथफुलनेश हो इस बात को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है।

सरकार को होगी बचत

इस सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों को हम कभी भी बचत के नजरिए से नहीं देखते हैं। इस स्कीम के लिए और अधिक जितना भी खर्च करने की आवश्यकता होगी हमारी सरकार खर्च करने के लिए तैयार है। हमारा लक्ष्य यही है कि देश की सीमाओं की सुरक्षा होनी चाहिए खर्च का कोई प्रश्न ही नहीं खड़ा होता है।

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