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निर्झरणी महोत्सव – नृत्य प्रस्तुति के साथ हुआ वनवासी लीला नाटय का मंचन

अलीराजपुर। मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा जिला प्रशासन-अलीराजपुर के सहयोग और समन्वय से तीन दिवसीय ’निर्झरणी महोत्सव’ का आयोजन में भक्तिमति शबरी लीला नाट्य के कलाकारों जिन्होंने पूरे नाट्य का जीवंत प्रस्तुति दी।

उल्लेखनीय है कि उक्त नाटिका में झाबुआ जिले के भील जनजाति के कलाकार जो मुख्य भूमिका में थे। इसमें श्री शैलेंद्र मंडोड श्री राम, रविंद्र मंडोड लक्ष्मण, ख्याति मंडोड शबरी माता, मितेश वाखला जटायु एवं मुनि सुतीक्षण, महावीर परमार लंकापति रावण, हिन्दू सिंह अमलयार ऋषि मुनि एवं शेर, ऋतिक भूरिया पूजारी एवं वानर, भूरी खराड़ी एवं ईशा गरवाल ने भील नृत्य एवं शबरी की सखी के रूप में अपनी कला की प्रस्तुति दी।

इसमें भगवान श्री राम शैलेंद्र मंडोड, सीता प्राची चौरसिया, लक्ष्मण रविंद्र मंडोड, शबरी माता ख्याति मंडोड, जटायु  और मुनि सुतीक्षण मितेश वाखला, लंकापति रावण महावीर परमार, ऋषि मुनि एवं शेर हिन्दू सिंह अमलयार, पूजारी और वानर ऋतिक भूरिया, भील नृत्य, शबरी की सखी भूरी खराड़ी, ईशा गरवाल, मतंग ऋषि, देवस्वरूप और राजा प्रदीप तिवारी, वाल्मीकि प्रभाकर द्विवेदी, हनुमानजी एवं ऋषि मुनि,अरविन्द,

तुलसीदास जी पुजारी शुभम पाण्डे, शबरी दल एवं जानवर वृंदरवान अहिरवार शबर राजा और कबंद राक्षस हरी नारायण चढार, लव जियाश, कुश हर्षल, शबर दल और मारीच अमित कुमार शर्मा, माया रावण अंशुल दुबे, शबर रानी मेघना अग्रवाल, सूत्रधार, बाल शबरी सोनिका नामदेव थे। भक्ति मति शबरी नाट्य प्रस्तुति के लेखक योगेश त्रिपाठी, निर्देशक निर्मल कुमार दास, सहायक निर्देशन शैलेंद्र मंडोड एवं कार्यक्रम अधिकारी विनोद गुर्जर थे।

अर्चित अरविन्द डांगी { मध्यप्रदेश, रतलाम }

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