भोपाल। रेत खनन करने वाले इन दिनों सभी नियम-कायदो को ताक में रखकर नर्मदा से रेत खनन में लगे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदारों ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। रेत खनन के नाम पर नर्मदा को छलनी कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। एनजीटी ने एक याचिका पर मामले की जांच करने और रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
मशीनों से हो रहा है रेत खनन
रेत के खेल का काला कारोबार किस हद तक फैला हुआ है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ डेढ़ महीने में ही 7 लाख 52 हजार 572 घनमीटर रेत नर्मदा से निकाली गई है। यानी 45 दिनों के अंदर 42 हजार डंपर रेत का खनन किया गया है। रेत का खनन सीहोर और रायसेन में नर्मदा की 12 खदानों में हुआ है। नर्मदा में फावड़े और तगारी से रेत खनन को मंजूरी दी गई है, लेकिन मशीनों का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है।
एनजीटी ने दिए जांच के आदेश
मामले की गंभीरता के देखते हुए विदिशा के रहने वाले रूपेश नेमा ने इस संबंध में एनजीटी में याचिका लगाई। उन्होंने इस पर सवाल उठाए कि रोजाना मजदूरों के द्वारा 42 हजार डंपर रेत का खनन कैसे किया गया। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी इसको गंभीरता से लेते हुए सीहोर और रायसेन के कलेक्टर को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ इसकी जांच करने के आदेश दिए हैं। साथ ही जांच रिपोर्ट को दो महीने में पेश करने के लिए कहा है।