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5 विधायकों ने सिद्धू को और 38 ने किया था जाखड़ को पसंद लेकिन ऐसे सीएम बने चन्नी, जानिए खास खबर

चंडीगढ़। पंजाब में कांग्रेस को अपनी डूबती नैया को बचाने के लिए एक खेवनहार की तलाश थी। वह चरणजीत सिंह चन्नी के रूप में पूरी हुई, लेकिन इस नाटक के असली किरदार सिद्धू को सीएम बनाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाया। कुछ बड़े नामों ने इस मुश्किल हालात में पंजाब की बागडोर थामने से माना कर दिया। आखिर में दलित कार्ड खेला गया और गुमनाम चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी पर दाव खेला गया।

कांग्रेस ने खेला दलित कार्ड

पंजाब में अकाली दल ने बसपा के साथ चुनाव लड़ने का एलान किया है। भाजपा ने भी सत्ता में आने पर दलित को मुख्यमंत्री बनाने का दावा किया है। ऐसे में 32 प्रतिशत दलित आबादी वाले राज्य में कांग्रेस ने दलित कार्ड खेला है। इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पसंद पीपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ थे। नवजोत सिंह सिद्धू जाखड़ के नाम पर राजी नहीं थे। अंबिका सोनी ने भी जाखड़ का विरोध किया। क्योंकि सीएम बनने से जाखड़ का पद बढ़ जाता, जो इनको रास नहीं आ रहा था।

जाखड़ थे सबसे आगे

गांधी परिवार की खास अंबिका सोनी ने सीएम का ऑफर ठुकराते हुए सिख मुख्यमंत्री की वकालात की। इसके बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम सुर्खियों में आया, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने रंधावा के नाम का भी विरोध किया। वहीं रंधावा जाखड़ की उम्मीदवारी पर आपत्ति जता रहे थे। इस बीच आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी का नाम भी चर्चा में आया। सुत्रों के मुताबिक विधायकों के बीच हुई रायशुमारी में जाखड़ को 38, रंधावा को 18 वोट, अमरिंदर की सांसद पत्नी परनीत कौर को 12 और सिद्धू को सिर्फ पांच वोट मिले। इस तरह खेमों में बंटी पंजाब कांग्रेस में दावेदारी से बाहर के चेहरे चरणजीत चन्नी के हाथ बाजी लग गई।

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