इंदौर। कोरोना महामारी मे कई लोगों की आर्थिक स्थति खराब हो गई है। अनलॉक होने के बावजूद भी कई लोगों की आर्थिक स्थति में सुधार होता नजर नहीं आरहा है। जिस कारण लोग ब्याज से पैसे लेकर लौटा नही पा रहे है। 50 हजार पर हर माह 10 हजार का ब्याज, यानी 20 प्रतिशत की दर से ब्याज। सूदखोरी के इसी भंवर में फंसे इंदौर के एक नौजवान ने अपनी जान दे दी। टेलरिंग करने वाले युवक ने लॉकडाउन के बाद काम को व्यवस्थित करने के लिए 50 हजार रुपए का कर्ज लिया था। पहले महीने तो उसने 10 हजार रुपए ब्याज के दे दिए लेकिन दूसरे महीने नहीं दे पाया तो उसे धमकी मिलने लगी।
धमकियों से तंग आकर युवक ने मंगलवार की रात जहरीला पदार्थ खा लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। मौत से पहले उसने परिजन से कर्ज से परेशान होने की बात कही। पुलिस के मुताबिक, लाबरिया भेरू निवासी 23 साल के राहुल का बिजनेस लॉकडाउन में ठप हो गया था। काम को नए सिरे से चालू करने के लिए रुपए की जरूरत थी। उसने भर्ती कंजर नाम के युवक से दो महीने पहले 50 हजार रुपए 20% ब्याज पर लिए थे। पहले महीने उसने ब्याज की राशि समय पर दी लेकिन काम नहीं चलने से दूसरे महीने की किस्त नहीं दे पाया। मंगलवार को भर्ती कंजर घर आया। इस दौरान ब्याज की राशि को लेकर कंजर और राहुल के बीच बहस हुई। कुछ घंटे बाद रात को राहुल ने जहर खाकर जान दे दी।
परीजन के मुताबिक
मृतक के छोटे भाई राकेश ने बताया कि जहर खा लेने के बाद राहुल को रात एक बजे महाराजा यशवंत राव अस्पताल लेकर गए थे। इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। भाई राकेश ने बताया कि मौत के पहले राहुल ने कर्ज से परेशान होने की बात कही थी। उसे मंगलवार को घर आकर एक सूदखोर ने धमकाया था। राकेश ने बताया कि लॉकडाउन के बाद राहुल को अपना काम शुरू करने के लिए माल खरीदना था। दूसरे महीने ब्याज की राशि न देने पर वह तनाव में था। उधर, पुलिस राहुल के परिवार के बयानों के आधार पर जांच कर रही है। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
राहुल के माता-पिता और राकेश अलग मकान में रहते हैं। रात में जहर खाने के बाद राहुल घर से निकला और मदद के लिए शोर मचाने लगा। पड़ोसियों के जरिए राकेश को पता चला कि राहुल की तबीयत खराब है। इसके बाद राकेश पहुंचा तो राहुल ने कहा कि कर्ज से परेशान होकर मैंने जहर खा लिया है।