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इन रणनीतियों के साथ अवाम के बीच जाएगी उपचुनाव में भाजपा-कांग्रेस

उपचुनाव भाजपा-कांग्रेस

भोपाल. मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से राजनीति में कई बदलाव देखने को मिले है। हम यह भी कह सकते है कि सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति भी बिगड़ती जा रही है।

4 सीटों पर होगा उपचुनाव

मध्य प्रदेश में खाली हुई 3 विधानसभा सीट और 1 लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने वाले है। जिनको लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां अपनी जीत के दावे कर रही है। लेकिन जनता किसको वोट देकर विजयी बनाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

बढ़ती महंगाई हो सकता है चुनावी मुद्दा

अगर हम बात कर प्रदेश की जनता की तो आज हर कोई बढ़ती महंगाई से परेशान नजर आ रहा है, लेकिन इस बड़े मुद्दें को कांग्रेस भुनाने में सफल नहीं हो पाई है। वहीं प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर भाजपा संगठन तैयारियों में जुट गया है। भाजपा के चुनाव दाव का प्रदेश में होने वाले हर चुनाव में लोगों को इंतजार रहता है।

दावेदारी करने वाले नेता आए आगे

होने वाले उपचुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी दावेदारी करने में भी पीछे नहीं हट रहे है, कई नेता जो इतने दिनों से चर्चा में नहीं आ रहे थे वह नेता भी अब सुर्खियों में नजर आने लगे है। वहीं सत्ता के नशे में चुर भाजपा दमोह उपचुनाव में हार के बाद अब वापस गलतियां नहीं दोहराना चाहती है। वह मजबूत स्थानिय नेता को ही चुनाव में उतारने की तैयारी करने में लगी है। वहीं कांग्रेस के लिए अब इन चुनावों के जीतना आसान नहीं होगा। कांग्रेस के कई नेताओं के नाम तो अभी से दावेदारी में सामने आ रहे है। जिसके कारण कांग्रेस में कहीं ना कहीं अंदर ही अंदर गुटबाजी हो रही हैं।

जनता के हाथों में फैसला

वहीं जनता की बात की जाए तो उन्हें समझ पाना अभी दोनों ही पार्टियों के लिए आसान नहीं है। क्योंकि जनता किस पार्टी के साथ होगी इसका फैसला सिर्फ उनके हाथों में है। उपचुनाव में कई गढ़ बीजेपी के है तो कई कांग्रेस के माने जा रहे है, इन गढ़ में दोनों ही पार्टियों को मजबुत नेताओं को मैदान में उतारना पड़ेगा।

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