Valentine Day 2021: इश्क की तासीर ही कुछ ऐसी है कि छिपाए नहीं छिपती है। प्यार को किसी सरहद में कैद नहीं किया जा सकता है ना ही इसमें दौलत या उम्र की कोई सीमा होती है। कभी इश्क पड़ोस में परवान चढ़ जाता है ते कभी यह सात समंदर की सीमाओं को भी लांघ जाता है। दो लफ्जों के इस फलसफें में जन्नत की मस्ती समाई हुई है।
इंसान के जन्म के साथ ही उसकी मोहब्बत भी तय हो जाती हैं। कुंडली की खास ग्रह प्यार के रिश्ते को आगे बढ़ाकर मंजिल तक पहुंचाते है। कुंडली में कुछ ग्रहयोग ऐसे भी होते हैं, जब इंसान को अपने पड़ोस में ही इश्क करने की वाजिब वजह मिल जाती है। या कभी ऐसा भी लम्हा जिंदगी में आता है कि वह मोहब्बत के जुनून में सभी रिश्ते-नातों को तोड़कर अपना मजहब तक बदल लेता है। कुंडली में इस तरह के कुछ ऐसे खास योग होते हैं, जो इश्क के इस जुनून के लिए जिम्मेदार होते हैं।
जब पड़ोसी से हो जाती है मोहब्बत
यदि किसी मानव की कुंडली के तीसरे या चौथे घर में मंगल और शुक्र की युति हो तो पड़ोस या एक ही इमारत में रहने वाले से प्यार होता है। यदि इसमें भी गुरु केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो, तो प्रेम संबंध विवाह में तब्दील हो जाते हैं। नौवे या दसवे घर में मंगल और शुक्र की युति यदि कुंडली में है तो मोहब्बत उस शख्स को ऑफिस में होती है।
जब इश्क बदलवा देता है धर्म
यदि किसी शख्स की कुंडली में सातवें और नौवें भाव में एक-एक क्रूर ग्रह हो और इन दोनों का किसी अन्य बली ग्रह से कोई संबंध नहीं हो तो ऐसा इंसान विवाह करने के लिए अपना धर्म बदल लेता है। यदि सातवें भाव में चंद्रमा, मंगल या शनि की राशि जैसे कर्क, मेष, वृश्चिक, मकर या कुंभ हो और बारहवें भाव में कोई दो क्रूर ग्रह एकसाथ बैठे हो तो वह शख्स विवाह करने के लिए धर्म परिवर्तन कर लेता है।