Vaikuntha Chaturdash 2021: बैकुंठ चतुर्दशी का सनातन संस्कृति में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु योगमुद्रा से जागने के बाद सृष्टी का राजपाठ संभालते हैं। इस तिथि को भगवान श्रीहरी और कैलाशपति शिव दोनों की उपासना की जाती है और सृष्टी में संहार के देवता महादेव और पालनकर्ता भगवान पुरुषोत्तम अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं।
बैकुंठ चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त
बैकुंठ चतुर्दशी: 17 नवंबर, बुधवार
बैकुंठ चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ, बुधवार 17 नवंबर को सुबह 09:50 से.
बैकुंठ चतुर्दशी तिथि का समापन, बृहस्पतिवार 18 नवंबर को दोपहर 12:00 बजे
पूजा विधि
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ब्रहम मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष व्रत का संकल्प लें। अब भगवान विष्णु और शिव के नामों का उच्चारण करें। संध्याकाल में 108 कमल पुष्पों के साथ पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु का पूजन करें। इसके अगले दिन सुबह भगवान शिव का पूजन करें और गरीब, जरूरतमंद और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का व्रत रखने वाले भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.
इन मंत्रों का करें उच्चारण
- ओम नमो भगवते वासुदेवाय, ओम नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
- पद्मनाभोरविन्दाक्ष: पद्मगर्भ: शरीरभूत्। महर्द्धिऋद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुडध्वज:।।
अतुल: शरभो भीम: समयज्ञो हविर्हरि:। सर्वलक्षणलक्षण्यो लक्ष्मीवान् समितिञ्जय:।। - श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवाय।
- ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
- ओम हूं विष्णवे नम:, ओम विष्णवे नम:।