इंदौर। इंदौर में प्रशासन ने शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए एक अभियान का मसौदा तैयार किया है। मंगलवार को इसी मसले पर सांसद शंकर लालवानी, कलेक्टर मनीष सिंह और निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल के साथ ही डीआईजी मनीष कपूरिया की मौजूदगी में अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक में तय किया गया कि ऐसे गिरोह जो माफिया का रूप धारण कर बच्चों को भिक्षावृत्ति के धंधे में धकेलने के साथ ही भिक्षावृत्ति को बढ़ावा दे रहे है, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।
इंदौर शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए जिला ,नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने कमर कस ली है। भिक्षुक मुक्त शहर बनाने की दिशा में कदम उठाये जाने के उद्देश्य से मंगलवार को महत्वपूर्ण बैठक भी आयोजित की गई। बैठक में सांसद शंकर लालवानी ,कलेक्टर मनीष सिंह और निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल के साथ ही डीआईजी मनीष कपूरिया शामिल हुए।
बैठक में भिक्षावृत्ति के खिलाफ अभियान चला रहे कई एनजीओ के पदाधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में तय किया गया कि ऐसे गिरोह और माफिया जो छोटे बच्चों सहित कई लोगों को भिक्षावृत्ति के धंधे में धकेल कर अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त अभियान चलाया जाएगा।
डीआईजी मनीष कपूरिया ने बताया कि भिक्षावृत्ति की आड़ में नशाखोरी सहित असामाजिक गतिविधियों को भी अंजाम दिया जा रहा है। जिसको लेकर सख्ती बरती जाएगी। कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि सिर्फ इंदौर ही नहीं बल्कि देश के कई शहरों में भिक्षावृत्ति एक चिंताजनक समस्या बन गई है और इसी समस्या के निराकरण को लेकर प्रयास अब आवश्यक बन गए है।
वहीं निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल का कहना है कि भिक्षावृत्ति की आड़ में अपने मंसूबे पूरे करने वालों के खिलाफ जहां सख्ती बरती जाएगी, तो वहीं दूसरी तरफ ऐसे भिक्षुक जिन्हें मदद की दरकार है। उन्हें पुनर्वास केंद्र सहित सभी ऐसी सुविधाएं मुहैया करवाई जाएगी।
केंद्र सरकार ने भिक्षुक मुक्त शहर के लिए 10 शहरों का चयन किया है, उसमें से इंदौर भी एक है, यही वजह है कि केंद्र सरकार की मंशा के मुताबिक अब इंदौर में जिला, नगर निगम और पुलिस प्रशासन भिक्षावृत्ति के गोरखधंधे पर लगाम कसने की तैयारी में है। दूसरी तरफ जरूरतमंद भिक्षुकों के लिए भी मानवता के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए योजनाएं तैयार की जा रही है।
मृदुभाषी के लिए इंदौर से चंकी बाजपेई की रिपोर्ट