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उज्जैन के मां छत्रेश्वरी चामुंडा माता मंदिर के नाम एक साथ दो गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड

उज्जैन। उज्जैन के चामुंडा माता मंदिर में सोमवार को बाबा महाकालेश्वर की शाही सवारी के दिन दो वर्ल्ड रिकॉर्ड साबूदाने की सबसे ज्यादा खिचड़ी बनाने और उसके वितरण के बन गए। इसी के साथ चामुंडा माता मंदिर का नाम गोल्डन बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। रिकॉर्ड का प्रमाणपत्र भी प्राप्त हो गया है।

मां छत्रेश्वरी चामुंडा माता मंदिर भक्त समिति के माध्यम से सोमवार को शाही सवारी के अवसर पर सबसे अधिक मात्रा में फरियाली खिचड़ी बनाई गई। सोमवार सुबह फरियाली खिचड़ी तैयार होने के बाद इसे उज्जैन के चामुंडा माता मंदिर, इंदौर गेट, फ्रीगंज टॉवर चौक, मंगलनाथ और हरिफाटक ब्रिज के समीप श्रद्धालुओं को वितरण किया गया। खिचड़ी वितरण के लिए करीब 50 हजार दोने मंगवाए गए थे। दोपहर 12 बजे तक खिचड़ी वितरण का कार्य पूरा कर लिया गया।

पांच घंटे में 30 क्विंटल साबूदाना खिचड़ी बनाई

मंदिर के पं. सुनील चौबे ने बताया कि मां छत्रेश्वरी चामुंडा माता मंदिर भक्त समिति के माध्यम से सोमवार को शाही सवारी के अवसर पर श्रद्धालुओं को वितरण के लिए 30 क्विंटल साबूदाना खिचड़ी बनाने में 5 घंटे का समय लगा। खिचड़ी के लिए 7 क्विंटल साबूदाना, 14 क्विंटल आलू, 7 क्विंटल मूंगफली दाना, 15 डिब्बा तेल, 5 डिब्बा देसी घी, 50 किलो ड्रायफ्रुट और 5 किलो विभिन्न सम्मिलित फरियाली मसालों का उपयोग किया गया। सुबह 5 बजे से 10 भट्टियों पर 50 कर्मचारियों ने 5 घंटे में 30 क्विंटल फरियाली खिचड़ी तैयार की।

करीब छह लाख रुपए खर्च आया

30 क्विंटल खिचड़ी बनाने में लगभग 6 लाख रुपए का खर्च आया। मां चामुंडा भक्त समिति के चार वाहनों से शहर के विभिन्न स्थानों पर खिचड़ी का वितरण किया गया। इंदौर गेट, नानाखेड़ा, हरी फाटक ब्रिज और मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में कई काउंटर लगाकर खिचड़ी वितरण किया गया। वितरण के कार्य में मंदिर समिति के लगभग 100 कार्यकर्ता लगे। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की एक टीम चामुंडा माता मंदिर पहुंची थी और पूरे आयोजन का निरीक्षण कर मंदिर समिति को प्रमाण पत्र भेंट किया।

मंदिर का भारत में 22वां स्थान

इस वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ ही भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) नई दिल्ली ने चामुंडा माता मंदिर के सेफ भोग प्लेस प्रमाणीकरण के लिए प्री आॅडिट के बाद फाइनल आॅडिट कर चुन लिया है। भारत के धार्मिक स्थानों में दर्शनार्थियों को स्वच्छ एवं सुरक्षित भोग प्रसाद व भोजन प्रसादी उपलब्ध हो सके, इसके लिए भोग यानी पीसफुल हाईजेनिक ऑफ रिंग टू गॉड यानी ईश्वर को आनंदपूर्ण स्वच्छ चढ़ावा नामक पहल शुरू की है। इसके अंतर्गत चामुंडा माता मंदिर का भारत में 22वां स्थान है।

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