Tulsi: तुलसी को सनातन संस्कृति में देवी की उपमा दी गई है। शास्त्रों में तुलसी का काफी महिमामंडन किया गया है और इसकी पूजा करने से उत्तम फल की प्राप्ति की बात कही गई है। इसके सेवन से कई रोगों का नाश होता है और इसके दर्शन मात्र से इहलोक से लेकर परलोक तक सुधर जाता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति के साथ श्रीहरी के चरणों में स्थान मिलता है। पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर में वास्तु के समस्त दोष दूर हो जाते हैं और वह घर रोगाणुओं से मुक्त हो जाता है। आइए जानते हैं तुलसी के कुछ विशेष उपायों के बारे में।
जीवनदायिनी है देवी तुलसी
तुलसी के पत्तों पर चंदन लगाकर श्रीहरी को समर्पित करने से पूजा का अनन्त गुना फल प्राप्त होता है। देवी तुलसी की पूजा करते समय शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करने से घर में सकारात्मकता बढ़ने के साथ जीवन में समृद्धि आती है। तुलसी में जल चढ़ाते समय उनके पुष्पसारा, नन्दिनी, वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी का जप किया जाए तो जीवन के समस्त कष्टों का नाश होता है। तुलसीदल को तोड़ते समय ‘ओम सुप्रभाय नमः’ मंत्र का जाप करने से पत्ते तोड़ने का दोष नहीं लगता है और पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
तुलसी का पत्ता तोड़ते समय इस मंत्र का जप करें। इससे पूजा का कई गुना फल मिलता है।
ओम सुभद्राय नम:, मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी।
नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते ।।
जीवन में सुख-समृद्धि के लिए इस मंत्र का जप करे।
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी।
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
धन-दान्य की प्राप्ति के लिए देवी तुलसी के इस मंत्र का जप करना चाहिए।
मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी।
नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते ।।