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ट्राई ने टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को टैरिफ और ऑफर को लेकर दिए सख्त निर्देश

नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सभी टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को गुरुवार को एक सख्त निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि टेलिकॉम कंपनियां सुनिश्चित करें कि उनके चैनल, डिस्ट्रीब्यूटर्स और रिटेलर्स की तरफ से ग्राहकों को स्पेशल टैरिफ न आॅफर करें, जिसके लालच में आकर ग्राहक दूसरे नेटवर्क पर मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी (एमएनपी) करा रहे हैं। बता दें कि ट्राई की तरफ से इस तरह का दिशा-निर्देश तब जारी किया गया, जब टेलिकॉम प्रोवाइडर्स की तरफ से ट्राई को कई शिकायतें मिलीं, जिसमें दावा किया गया था कि टेलिकॉम कंपनियों की तरफ से मोबाइल नंबर पोर्ट कराने पर ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा बेनिफिट दिए जा रहे हैं। इससे ग्राहक तेजी से एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर शिफ्ट हो रहे हैं।

सुविधा को अवसर बनाया कंपनियों ने

एमएनपी एक तरह की सुविधा है, जिसमें नेटवर्क खराब होने या कॉल ड्रॉप की समस्या होने पर ग्राहकों के पास दूसरे नेटवर्क पर शिफ्ट होने का ऑप्शन रहता है। लेकिन टेलिकॉम कंपनियां इसी सुविधा को अवसर के तौर पर मान रही है और एक्स्ट्रा बेनिफिट्स देखकर दूसरे नेटवर्क के ग्राहकों को अपने साथ जोड़ रही हैं। इस तरह की शिकायतों के बाद ट्राई ने नई गाइडलाइन का पालन करने का निर्देश दिया है।

तत्काल प्रभाव से नई गाइडलाइन लागू

ट्राई ने अपने निर्देश में सभी टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को तत्काल प्रभाव से यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि नियामक को केवल उनके चैनल भागीदारों, वितरकों, खुदरा विक्रेताओं या तीसरे पक्ष के एप के माध्यम से टैरिफ की पेशकश की जाती है। साथ ही ट्राई ने कहा कि दिशानिर्देशों और प्रावधान का अनुपालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी और जवाबदेही टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के पास रहेगी, जहां आॅपरेटरों के नाम या ब्रांड का उपयोग प्रोडक्ट की सेलिंग और मार्केटिंग के लिए किया जाता है।

देश के दो तिहाई ओटीटी ग्राहक छोटे शहरों और कस्बों से

देश में ओटीटी कारोबार को लेकर आई एक नई रिपोर्ट ने इस कारोबार में कूदी कंपनियों की आंखें खोल दी हैं। इस साल मई से लेकर जुलाई के बीच कराए गए इस सर्वे से साफ हो चुका है कि ओटीटी का कारोबार मेट्रो शहरों में ही होने के हिसाब से अपनी योजनाएं बनाए बैठे दिग्गज ओटीटी खिलाड़ियों की मार्केटिंग टीमों का अब तक का विश्लेषण बेकार साबित हो चुका है। ओटीटी पर फिल्में और वेब सीरीज देखने वाले दर्शकों का बड़ा वर्ग अब छोटे शहरों और कस्बों में है और मेट्रो शहरों का ओटीटी कारोबार में योगदान सिर्फ एक तिहाई ही बचा है।

ओटीटी के अधिकतर नए ग्राहक अब उन शहरों व कस्बों से आ रहे हैं जहां इंटरनेट की पहुंच हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी है। इस सर्वे के मुताबिक देश की कुल आबादी के करीब एक चौथाई लोग ओटीटी का प्रयोग करने लगे हैं और करीब 35 करोड़ 32 लाख लोग ऐसे हैं जिन्होंने एक महीने की अवधि में कम से कम एक बार ऑनलाइन वीडियो जरूर देखा। इसका मतलब है कि देश की 25.3 फीसदी आबादी तक ओटीटी कारोबार पहुंच चुका है।

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