नई दिल्ली। आज के समय में जब कई तरीके से देश का हित जुड़ा हो तो सीधे टकराव न लेकर दुनिया के कई देश प्रोपेगेंडा फैलाते हैं। चीन इस काम में काफी माहिर है। नए साल पर उसने गलवान का वीडियो जारी कर दावा किया कि जिस घाटी के लिए भारत और चीन के बीच खूनी झड़प हुई थी, वह इलाका अब उसका है। भारत में विपक्षी दल सरकार पर आक्रामक हो गए लेकिन जल्द ही ये बात साफ हो गई कि गलवान घाटी पर चीनी दावे का जो वीडियो दिखाया जा रहा है वह एलएसी पर चीन की तरफ का है। अब चीन के प्रोपेगेंडा के जवाब में भारतीय सेना के जवानों ने असली तस्वीर दिखाई है। बर्फ से ढकी चोटी पर तिरंगे के नीचे खड़े जांबाज भारतीय जवानों की तस्वीर देख चीनियों के माथे पर पसीना जरूर निकलेगा।
जवानों के हाथ में मॉडर्न सिग 716
तस्वीर में सेना के 30 जवान तिरंगे के साथ नजर आ रहे हैं। जवान हथियार लिए हुए हैं। एक तिरंगा भारतीय चौकी पर लहरा रहा है और दूसरा तिरंगा जवानों को हाथों में है। इस तस्वीर को देख चीन के टेंशन में आने की एक बड़ी वजह है। गलवान घाटी में माइनस तापमान में दहाड़ रहे जवानों के हाथ में वो हथियार आ चुका है जिसे शायद चीन की मीडिया और वहां के सैन्य अधिकारी जूम करके देखें। पहले भारतीय सैनिकों के हाथों में स्वदेशी इंसास दिखती थी लेकिन अब अमेरिका की मॉडर्न सिग 716 ने मोर्चा संभाल लिया है। यह राइफल एक मिनट में 685 राउंड गोलियां दाग सकती है। यानी इस तस्वीर से समझा जा सकता है कि गलवान में भारत की क्या तैयारी है।
विदेश राज्य मंत्री ने जारी की तस्वीर
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन समेत देश के कई नेताओं और मंत्रियों ने सेना के जवानों की तीन तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा –भारत माता की जय।
भारतीय सेना के प्रूफ से साफ हो गया कि गलवान वैली में भारत की स्थिति कितनी मजबूत है। अपने देश में एक गीत भी है कि सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के उसूलों से… चीन की पोल उसका वीडियो ही खोल दे रहा है। ध्यान से देखिए, भारतीय सैनिकों ने गलवान की जो तस्वीर शेयर की है उसमें बर्फ की चादर साफ देखी जा सकती है लेकिन चीन के वीडियो में बर्फ को ढूंढना पड़ रहा है।
अरुणाचल में नाम बदलने की कोशिश
इससे पहले चीनी सरकार ने नए सीमा कानून को लागू करने से दो दिन पहले अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों का नाम बदलने की मांग की थी। भारत सरकार ने पिछले गुरुवार को कहा कि उसने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों का नाम अपनी भाषा में रखने का प्रयास करने की रिपोर्ट देखी है और कहा कि सीमावर्ती राज्य हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा और आविष्कृत नामों को निर्दिष्ट करेगा इस तथ्य को नहीं बदलता है।