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पंजाब का यह गांव जिसे ‘मानसा दे मुंडे’ सिद्धू मूसेवाला ने दी इंटरनेशनल पहचान, अब गांव में पसरा है मातम

नई दिल्ली। सिद्धू मूसेवाला उर्फ़ शुभदीप सिंह सिद्धू एक पंजाबी गायक, गीतकार, मॉडल थे जो ‘सो हाई’ गाना गाकर चर्चा में आए थे । सिद्दू मूसेवाला की 29 मई 2022 में गोली मारकर हत्या कर दी गयी उनके गाड़ी पर 30 से ज्यादा फायर किये गए जिसमे से कम से कम 5 गोलिये उनकी छाती में जा लगी ।

पंजाब के मानसा जिले का मूसा गांव. गांव का ये नाम कब-कैसे पड़ा, यहां रहने वालों में से शायद ही किसी को ये याद होगा. लेकिन पिछले कुछ सालों में ये गांव दुनिया भर में पंजाबी म्यूजिक के फैन के बीच मशहूर हो चुका है. लोग इसे मूसा नहीं बल्कि मूसेवाला के नाम से ज्यादा जानते हैं. और ये सब मुमकिन हुआ सिद्धू मूसेवाला की वजह से. आज सिद्धू की मौत के बाद पूरे मूसा गांव में मातम पसरा हुआ है. फेमस पंजाबी सिंगर और कांग्रेस के नेता सिद्धू मूसेवाला की रविवार शाम को अंधाधुंध गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी।

मूसा मानसा जिले का छोटा सा गांव है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यहां करीब 2800 वोटर हैं। 60 फीसदी से ज्यादा आबादी जाट सिखों की है। गांव में एक डिस्पेंसरी है और एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल है। सड़कें काफी अच्छी बनी हुई हैं. गांव के अंदर एक ही सबसे आकर्षक चीज है, वो है एक हवेली. ये हवेली है सिद्धू मूसेवाला की। पहले कभी यहां सामान्य-सा घर हुआ करता था, जैसे-जैसे सिद्धू की तकदीर का सितारा बुलंद हुआ, इस जगह की किस्मत भी चमक गई। गांव में रहकर मिस्त्री का काम करने वाले 50 वर्षीय चेत सिंह ने अखबार को बताया कि पहले सिद्धू मूसेवाला के परिवार के पास तीन-चार एकड़ जमीन हुआ करती थी. सिद्धू ने पंजाबी संगीत में पैर जमाए तो आसपास की कई जमीनें भी उन्होंने खरीद ली. अब 60 एकड़ से ज्यादा जमीन परिवार के पास है. छोटे से घर की जगह बड़ी हवेली ने ले ली है।

2018 में सिद्धू मूसेवाला की मां चरन कौर ने सरपंच का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. तब सिद्धू ने भी उनके लिए खूब प्रचार किया था. गांव के लोग याद करते हैं कि सिद्धू को अपने गांव से बहुत लगाव था. ज्ञानी बताते हैं कि सिद्धू अक्सर अपने गांव आया करते थे. बाकी पंजाबी सिंगर जहां मोहाली और चंडीगढ़ में रहना पसंद करते हैं, सिद्धू को जब भी मौका मिलता, वो अपने गांव चले आते थे. चेत सिंह बताते हैं कि जब सिद्धू गांव में रहते तो रोजाना 400 से 500 लोग उनसे मिलने हवेली में आते थे. सिद्धू उन्हें निराश नहीं करते थे. सिद्धू की वजह से ये गांव दुनिया के नक्शे पर मशहूर हो गया है.

पंजाबी गानों ने सिद्धू को दी पहचान

11 जून 1993 को पैदा हुए सिद्धू के लाखों फैन हैं. उन्होंने 2016 में सिंगिंग करियर की शुरुआत की थी. उनके गानों में बंदूक-पिस्तौल का काफी इस्तेमाल होता था. इसके लिए सिद्धू की आलोचना भी होती थी. सिद्धू के करियर का पहला गाना G Wagon था, लेकिन उन्हें नाम और शोहरत मिली 2017 में आए गाने So High से. 2018 में सिद्धू ने अपना पहला म्यूजिक एलबम रिलीज किया, फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. सितंबर 2019 में रिलीज़ हुआ उनका गाना “जत्ती जीने मोड़ दी बंदूक” चार्टबस्टर बन गया. जुलाई 2020 में उनके गाने ‘संजू’ पर विवाद भी हुआ था।

सिद्धू से प्रेरित होकर गांव के कई लड़के-लड़कियों ने संगीत की राह पकड़ी. शौक से शुरू हुआ ये सफर करियर बन गया. इलाके के एक सरकारी टीचर ने बताया कि इलाके के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के एक छात्र ने 2019 में लोक गीत श्रेणी में राज्य स्तरीय पुरस्कार भी जीता था. सभाचार चेतना मंच के अध्यक्ष हरिंदर मनशाहिया और महासचिव हरदीप सिद्धू ने कहा कि मूसेवाला पंजाबी म्यूजिक को दुनिया के कोने-कोने तक ले गए. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि ये दिन भी आएगा।

कोटलीकलां के रहने वाले हरदेव सिंह ने बताया कि सिद्धू हमारे अपने मानसे दा मुंडा था. (पंजाब के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री) विजय सिंगला की भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी के बाद सिद्धू गांव में आया था और तबसे वापस नहीं गया. उस दिन उन्होंने सिंगला पर कई इंस्टा स्टोरीज भी पोस्ट की थीं. वकील गुरलाभ सिंह महाल बताते हैं कि सिद्धू के कई गानों को लेकर खूब विवाद भी हुआ. लेकिन उन्होंने गांव आना नहीं छोड़ा. लॉकडाउन हो या कोई और मौका, वह अक्सर यहां आया करते. अब वह हमारे बीच नहीं है. आज मानसा के लिए काला दिन है.

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