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वायु प्रदूषण को लेकर मिली रिपोर्ट ने बजाई खतरे की घंटी!

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश के ज्यादातर हिस्सों में हर साल वायु प्रदूषण के स्तर के साथ-साथ इससे जुड़ी समस्या भी बढ़ती जा रही है। पहले जहां प्रदूषण का ज्यादा प्रकोप सर्दियों में देखा जाता था, लेकिन अब बीते कुछ सालों से वायु प्रदूषण का प्रभाव बरसात और गर्मी के मौसम में भी अपना असर दिखने लगा है। ऐसे में हर दिन हवा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है, जिसका सीधा प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। स्थिति यह है कि अब सांस संबंधी बीमारियां लोगों के अंदर तेजी से बढ़ने लगी है। इस बीच शिकागो यूनिवर्सिटी की एक लेटेस्ट स्टडी ने वायु प्रदूषण की इस चिंता और गहरा कर दिया है। बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर भारत के लिए एक बुरी खबर सामने आई है। शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ईपीआईसी) की ओर जारी एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (एक्यूएलआई) के लेटेस्ट एडिशन के मुताबिक भारत में दुनिया का सबसे ज्यादा हेल्थ बरडन है। रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से भारत के लोगों की लाइफ पांच साल तक कम हो रही है।

एक्यूएलआई रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है, जहां वायु प्रदूषण लगभग जीवन को 10 साल कम कर रहा है, जबकि लखनऊ में यह 9.5 साल है। दरअसल, यह एक पॉल्यूशन इंडेक्स है, जो वायु प्रदूषण का आयु संभाविता यानी जीवन प्रत्याशा पर पड़ते प्रभाव के बारे में बताता है। रिपोर्ट में एक नक्शे के जरिया बताया गया है कि भारत में सिंधु-गंगा का मैदान दुनिया का सबसे प्रदूषित एरिया है।

शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक अगर मौजूदा प्रदूषण का लेवल ऐसे ही बना रहता है, तो पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक आधे अरब से ज्यादा लोग यानी 50 करोड़ लोगों की औसतन 7.6 साल की जिंदगी कम हो सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि धूम्रपान से जीवन 1.5 साल घटता है, जबकि बाल औ मातृ कुपोषण में यह 1.8 वर्ष तक कम हो जाती है, लेकिन इसकी तुलना में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा खतरनाक है।

2020 के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट

यह इंडेक्स 2020 के आंकड़ों पर आधारित है। इस रिपोर्ट को आप यहां क्लिक कर देख सकते हैं कि देश के किस राज्य में और किस शहर की वायु प्रदूषण को लेकर क्या स्थिति है और वहां जीवन प्रत्याशा कितना कम बताया जा रहा है। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स में बांग्लादेश के बाद भारत दूसरा सबसे प्रदूषित देश है। सालाना प्रकाशित होने वाले इंडेक्स पर भारत का प्रदर्शन पिछले साल की तुलना में सुधरा नहीं है।एढकउ की रिपोर्ट के अनुसार 1998 के बाद से औसत वार्षिक प्रदूषण में 61.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

भारत में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि जारी

लॉकडाउन के बावजूद 2020 में भारत में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि जारी रही, जिससे औसत भारतीय जीवन प्रत्याशा 2.2 साल के वैश्विक औसत की तुलना में पांच साल कम हो गई। यह पूरे दक्षिण एशिया का संकट है और इसका स्तर पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी बढ़ रहा है।कारण स्पष्ट हैं पिछले दो दशकों में पूरे क्षेत्र में यातायात और कोयले से चलने वाले बिजली प्लांट तीन से चार गुना बढ़ गए हैं। यहां तक की फसल जलने, ईंट भट्टों और अन्य औद्योगिक गतिविधियों से जटिल होता जा रहा है।

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