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मौसम की बेरुखी ने बढ़ाई किसानों की चिंता नहीं हुई बारिश तो बर्बाद हो जाएंगे किसानो के मुँह आया निवाला

मौसम की बेरुखी ने बढ़ाई किसानों की चिंता नहीं हुई बारिश तो बर्बाद हो जाएंगे किसानो के मुँह आया निवाला

कब तक इम्तिहान लेगी बारिश अब तो बरस जा बदरा
किसानों का कहना 25 प्रतिशत उत्पादन कम होगा

धार/करीब तीन सप्ताह से बारिश न होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। अगस्त के पूरे महीने में दो से तीन बार ही अच्छी बारिश हुई। पिछले तीन सप्ताह से बारिश नहीं होने से फसलों को भी नुकसान होने लगा है। कुछ दिन से पछुवा हवा चल रही है, जो कि बारिश की उम्मीदों पर पानी फेर रही है। फसलों को नुकसान से बचाने के लिए किसान बारिश के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं। उत्तर भारत में जहां इस बार अधिक वर्षा के कारण लोग परेशान हैं।

मौसम की बेरुखी ने बढ़ाई किसानों की चिंता नहीं हुई बारिश

वहीं जिले भर में अभी भी किसान बारिश के इंतजार में हैं। मध्य प्रदेश का पश्चिम क्षेत्र धार इस जिला हैं, जहां पर जलवायु परिवर्तन का सीधा असर देखने को मिल रहा है। यहां अभी से सूखे के हालात दिख रहे हैं। यही वजह है की धार जिले में करीब पांच लाख हेक्टेयर में लगाई गई सोयाबीन और अन्य फसलों की स्थिति चिंताजनक हो रही है।

वहीं सोयाबीन की फसल इस समय फली अवस्था मे व दाना भरने के समय बारिश की खींच के कारण इसका उत्पादन पर सीधे असर पड़ेगा। खुद कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र अब किसानों को यह सलाह दे रहे है कि यदि पानी की उपलब्धता है तो स्प्रिंकलर यानी फव्वारा सिंचाई के माध्यम से अपनी फसल को सिंचित करे।

वही मौसम विभाग के अनुसार आगामी 5 सितंबर से मानसून की सक्रियता होने की उम्मीद है। लेकिन तब तक कई स्थानों पर फसलों की नुकसान की स्थिति बन सकती है। किसान की जान आफत में आ गई है । जिले में कई स्थानों पर फैसला की दम तोड़ने की स्थिति बन गई हैं।

लेकिन यदि आगामी दिनों में यदि मानसून की सक्रियता नहीं हुई और वर्षा की खेंच का यही आलम बना रहा तो निश्चित रूप से सोयाबीन की फसल पर एक बड़ा असर पड़ेगा। खासकर इसके उत्पादन में गिरावट आना लगभग तय है। वैसे इस वर्ष खरीब की फसल पूरे जिले में अच्छी हे और किसानों की बोवनी भी सफल रही वही किसानों को दूसरी बोवनी नही करना पड़ी थी।

अगस्त तो पूरा खाली
इस बार अधिकमास के चलते दो-दो सावन थे, लेकिन एक भी सावन पूरी तरह से नहीं बरसा। 12 साल में पहली बार इस साल सावन की झड़ी भी देखने को नहीं मिली। अगस्त की बात की जाए तो पहले पखवाड़े में सिर्फ 4 इंच बारिश ही हुई है, जो बेहद ही कम है। सेटेलाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 5 सितम्बर के बीच बारिश होने की संभावना है। अगर बारिश नहीं होती तो किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी वही आने वाले फसलों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा सूखे के आसार में किसान कर्ज में डूब जाएगा।

अगस्त तो पूरा खाली

फूलों से फली बनने की अवस्था –
इस संबंध में धार कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डाक्टर जीएस गठिया ने बताया कि अभी फसलों को लेकर बहुत ज्यादा चिंताजनक स्थिति नहीं लेकिन आगामी कुछ दिनों में परेशानी हो सकती है। खासकर ऐसी जमीन जहां पर काली मिट्टी नहीं है। हल्की मिट्टी है या पथरीली जमीन है, वहां पर सोयाबीन से लेकर अन्य फसलों पर अभी से विपरीत असर देखने को मिल रहा है। इस तरह के हालात में हम किसानों से संपर्क कर रहे हैं। किसानों को हम सलाह दी है कि वह फव्वारा सिंचाई के माध्यम से फसलों को पानी दें।

जहां काली मिट्टी वाली जमीन है वहां पर फिलहाल चिंता नहीं है लेकिन आगामी एक सप्ताह में मानसून की सक्रियता होना जरूरी है। वरना इसका उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा। वर्तमान में फूल से फली बनने की अवस्था है। इस अवस्था में एक बड़ी चिंता होती है। क्योंकि इस तरह की स्थिति में हमें उत्पादन में गिरावट और नुकसान की स्थिति देखने को मिलती है।

सिंचाई करने के लिए दे रहे हैं सलाह –
इधर कृषि विभाग के उप संचालक जीएस मोहनिया ने बताया कि जिन किसानों के पास पानी की उपलब्धता है और संसाधन है। वें यदि फसल संकट वाली स्थिति में तो हम उन्हें कह रहे हैं कि फव्वारा सिंचाई करें। जिससे की फसलों को सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मौसम विभाग की भविष्यवाणी उसके अनुसार आगामी 5 सितंबर से फिर से मानसून की सफलता की उम्मीद है। फिलहाल सभी यही प्रार्थना कर रहे हैं कि फिर से मानसून की सक्रियता हो जाए। इससे की फसलों की स्थिति बेहतर हो सके।

बारिश नही हुई तो बर्बाद हो जाएगी फसल:
इस बार बारिश ने किसानों को परेशानी में डाल दिया अगर समय रहते बरसात नहीं होती तो किसनो मि आर्थिक स्थिति डगमगा जाएगी वह किसनो की कमर टूट जाएगी वही किसान कर्ज में डूब जाएगा अगर आने वाले दो-चार दिनों में बारिश नहीं होती है तो सोयाबीन की फसल बर्बाद हो जाएगी फिर किसानों के हाथ कुछ नहीं लगेगा!

बारिश नही हुई तो बर्बाद हो जाएगी फसल:

25 प्रतिशत उत्पादन में कमी हो गई है:
अभी वर्तमान में पानी की खेचे से जिले में 25 प्रतिशत उत्पादन का नुकसान हो गया है और आगे भी बारिश नहीं होती है तो यह नुकसान का प्रतिशत दिन प्रतिदिन बढ़ता जायेगा वही जिले के मालवा क्षेत्र में कोई सिंचाई परियोजना भी नही है जिस से किसान अपनी फसलों को पानी दे सके किसान भूजल पर ही सिंचाई के लिए निर्भर है और अभी तक नदी तालाब पूरी तरह से सूखे पड़े हैं तो जिस से भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है अगली फसल भी लेना किसानो के लिए मुश्किल है महेश ठाकुर भारतीय किसान संघ प्रांत मंत्री

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